सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर की कहानी

एडोल्फ हिटलर एक बेहद ही क्रूर तानाशाह था जिसकी सनक ने करोड़ों लोगों की जानें ले लीं। हिटलर एक अत्यंत ही महत्वकांक्षी और आत्ममुग्ध व्यक्ती था जो ब्रिटिश एंपायर की ही तरह एक जर्मन एंपायर खड़ा करना चाहता था और दुनियां पर अपना दबदबा कायम करना चाहता था। इसी महत्वकांक्षा के कारण दुनियां में “द्वितीय विश्व युद्ध” जैसा महाविनाशकारी युद्ध हुआ।

सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर की कहानी

बुराईयां होने के बावजूद हिटलर बुद्धिमान था जिसमें बोलने की गज़ब की कला थी। जब हिटलर बोलता था, तब लोग उछलते थे। अपने इसी गुण के कारण हिटलर जर्मनी का चांसलर बन गया।

आज के इस लेख के माध्यम से हम इतिहास के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक एडोल्फ हिटलर के बारे में जानेंगे की कैसे विएना के गलियों में दर–दर भटकने वाला एक लड़का पूरे जर्मनी का तानाशाह बन गया। 


एडोल्फ हिटलर का प्रारंभिक जीवन

एडोल्फ हिटलर का जन्म 20 अप्रैल सन् 1889ई. को Austria के Braunau नामक गांव में हुआ था। इनके पिता का नाम Alois Hitler था जो कि एक कस्टम ऑफिसर थे और इनकी माता का नाम Klara Pölzl था जो की Alois Hitler की तीसरी बीवी थी।

इन दोनों दंपत्ति के कुल चार बच्चे हुए जिनमें से तीन बच्चे बहुत ही कम उम्र में भगवान को प्यारे हो गए। हिटलर को भी ना खो देने के डर से इनकी माता इनसे बहुत ज्यादा प्यार करती थी। ज्यादा लाड़–प्यार और गलतियों को नजरंदाज किए जाने के कारण ये सिरचढ़े टाईप के हो गए थे। पिता से इनकी बनती नहीं थी डांट फटकार भी पड़ती थी लेकिन माता बीच–बचाव में आ जाती थी। 

Alois Hitler की अपनी पहली और दूसरी बीवी से भी बच्चे थे जो की रिश्ते में एडोल्फ हिटलर के Step Siblings थे लेकिन आगे चलकर इनसे भी  हिटलर के रिश्ते खट्टे हो गए। 

स्कूली शिक्षा के प्रती हिटलर की रुचि कम थी इनके पिता चाहते थे की ये पढ़–लिखकर इनकी ही तरह एक सिविल सेवक बने लेकिन हिटलर के मन में कुछ और ही था।

हिटलर को कला के क्षेत्र में ज्यादा रुझान था और ये Vienna Academy of Fine Arts से कलाकारी सीखना चाहते थे जिसके लिए इन्होंने दो बार प्रवेश परीक्षा भी दिलाई लेकिन दोनों ही बार फैल हो गए।

साल 1905ई. में 16 साल की उम्र में हिटलर ने स्कूल छोड़ दिया जिसके बाद ये कभी स्कूल नहीं गए। इसका यह मतलब बिल्कुल भी नहीं है की हिटलर कमज़ोर थे। हिटलर एक तेज दिमाग वाले व्यक्ति थे जो अपना निर्णय स्वयं लेते थे, स्कूल छोड़ देने के बाद भी ये इतिहास और राजनीति शास्त्र को पढ़ते रहे।

हिटलर की पर्सनैलिटी को देखें तो वे एक अत्यंत ही आत्ममुग्ध व्यक्ति (Extreme Narcissist) थे। जिस कारण से लोगों से इनकी बनती नहीं थी। 

हिटलर जर्मनी कब गए 

3 जनवरी सन् 1903ई. को जब हिटलर महज 13–14वर्ष के थे इनके पिता की मृत्यु हो जाती है। 

इस घटना के दो साल बाद ही सन् 1905ई. में जब ये महज़ 16वर्ष के थे इन्होंने स्कूल छोड़ दी। 

इसके दो साल बाद ही सन् 1907–08ई. में जब हिटलर 18 वर्ष के हुए थे इनकी माता की भी मृत्यु हो जाती है और हिटलर अकेले पड़ जाते हैं।

माता की मृत्यु के बाद हिटलर विएना चले गए और वहां पर घुमक्कड़ की जिंदगी जीने लगे।

स्कूल के दौरान इनके एक शिक्षक जर्मन राष्ट्रवादी थे जिनसे ये काफ़ी प्रभावित हुए थे, गुरु के प्रभाव के कारण धीरे–धीरे इनके अंदर भी जर्मन राष्ट्रवाद पनपने लगा था।

इसी दौरान Austria में Anti–Semitism (यहूदी विरोधी विचारधारा) चलने लगी थी जिससे ये प्रभावित हुए और यहूदियों से नफ़रत करने लगें।

हिटलर Sketch बनाकर और छोटे–मोटे काम करके अपना जीवन–यापन कर रहे था। इनके Sketches में इनकी जर्मनी के प्रति लगाव और यहूदियों के प्रति नफ़रत जैसी भावनाए झलकती थी।

जर्मनी के प्रति लगाव के कारण ही साल 1913ई. में 24वर्ष की आयु में ये Austria के Vienna से Germany के Munich शहर चले गए।

प्रथम विश्व युद्ध(WWI) में हिटलर की भागीदारी

1913ई. में हिटलर जर्मनी आ गए थे और यहां आने के बाद इन्होंने सेना में भर्ती होने के लिए आवेदन किया लेकिन कमज़ोर स्वास्थ्य के कारण इन्हें सेना में भर्ती नहीं दिया गया।

एक साल बाद 1914ई. में प्रथम विश्व युद्ध शुरू हो गया जिस कारण से सेना में भर्ती के रियायतें दी गई जिसका फ़ायदा हिटलर को हुआ और ये जर्मन सेना में शामिल हो गए।

जर्मन सेना में ये Beverian Army की तरफ से पश्चिमी मोर्चे (Western Front) पर एक संदेशवाहक की तरह काम करने लगे। ये अपने कर्तव्य के प्रती प्रतिबद्ध थे और सेना को सेवा देते हुए कई बार घायल भी हुए। हिटलर के काम से प्रभावित होकर इन्हें साल 1914ई. में Second Class Iron Cross सम्मान से सम्मानित किया गया।

हिटलर ने Battle of Ypress, Battle of Arras, Battle of Somme जैसी कई प्रमुख लड़ाईयां लड़ी।

Battle of Somme के दौरान इनके पास एक बम गिरा जिससे ये घायल हुए और इन्हें हॉस्पिटल ले जाया गया। ईलाज के बाद सन् 1917ई. में इनका प्रमोशन हुआ। 

18 मई 1918ई. के दिन इन्हे Black Wound Badge सम्मान से सम्मानित किया गया। 

4 अगस्त 1918ई. को इन्हे First Class Iron Cross सम्मान से सम्मानित किया गया।

15 अक्टूबर 1918ई. के दिन Second Battle of Ypress में ब्रिटिश आर्मी ने Poision Gas का इस्तेमाल किया जिसके प्रभाव से ये अल्पकाल के लिए अंधे हो गए और इन्हें ईलाज के लिए हॉस्पिटल ले जाया गया।

हॉस्पिटल में ईलाज के दौरान इन्हें ख़बर मिली की 11 नवंबर 1918ई. के दिन जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर लिया है। इस ख़बर से हिटलर को बहुत बड़ा सदमा लगा, हिटलर को पक्का यकीन था कि जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध जीत जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) 

प्रथम विश्व युद्ध के में हार के बाद जर्मनी के राजा Kaiser Wilhelm II ने 1918ई. में राजपाठ छोड़ दिया और देश छोड़कर भाग गए, परिणाम स्वरूप 13 फरवरी 1919ई. के दिन Scheidmann Cabinate बनाई गई जिसके द्वारा The Weimer Republic की स्थापना की गई। 

The Weimer Republic जर्मनी की एक लोकतांत्रिक सरकार थी जिसने 1919ई. से 1933ई. तक जर्मनी पर शासन किया और इसी सरकार के द्वारा वर्साय की संधि (Treaty of Versailles) पर हस्ताक्षर किया गया।

वर्साय की संधी जर्मनी और मित्र राष्ट्रों के बीच एक शांति संधी थी जिसे 28 जून 1919ई. के दिन फ्रांस के Palace of Versailles में मित्र राष्ट्रों (ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और अमेरिका) और जर्मनी के मध्य किया गया था। इस संधी के बाद प्रथम विश्व युद्ध (WWI) का आधिकारिक तौर पर अंत हो गया।

वर्साय की संधी ने जर्मनी पर कई प्रतिबंध लगाए –

• जर्मनी और उसके साथी देशों को इस महायुद्ध के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।

• युद्ध में हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के लिए जर्मनी पर भारी हर्जाना लगाया गया (Reparations)।

• जर्मनी की सेना को कम कर दिया गया और इनपर प्रतिबंध लगाया गया कि ये 1लाख से अधिक सेना नहीं रख सकते।

• जर्मनी की नेवी (Navy) पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया।

• इस संधी के कारण जर्मनी के कई सारे टुकड़े हो गए थे और जर्मनी छोटा हो गया था।

जर्मनी के लोग इस संधी को अपमान जनक मानते थे अपमान जनक मानते थे और मानते थे की यह संधी उनपर जबरदस्ती थोपा गया है। इसी बात को मुद्दा बनाकर हिटलर ने The Weimer Republic की नीव हिला दी थी।

हिटलर का राजनीति में प्रवेश 

हिटलर एक कट्टर जर्मनी राष्ट्रवादी व्यक्ति था जिसने प्रथम विश्व युद्ध में जर्मनी की जीत के लिए जान की बाज़ी लगाई थी, लेकिन अफ़सोस.. जर्मनी प्रथम विश्व युद्ध नहीं जीत पाई, इस बात से ये बेहद हतप्रभ थे। रही–सही कसर वर्साय की अपमान जनक संधी ने पूरी कर दी जिसके परिणाम स्वरूप जर्मनी बेहद कमजोर हो गया।

अब हिटलर राजनीति में प्रवेश करना चाहता था और सत्ता में आकर जर्मनी को दुनियां का सबसे पॉवरफुल कंट्री बनाना चाहता था। 

साल 1919ई. में German Workers Party बनी और हिटलर ने इस पार्टी को ज्वॉइन कर लिया। राजनीति में प्रवेश करने के बाद इन्होंने सेना से इस्तीफ़ा दे दिया और फुल टाइम राजनेता बन गए।

इस पार्टी में इनकी जल्दी–जल्दी पदोन्नति हुई और साल 1921ई. में ये इस पार्टी के मुखिया बन गए। मुखिया बनने के बाद इन्होंने इस पार्टी के नाम को बदल दिया और “National Socialist German Workers Party” को इस पार्टी का नया नाम रखा जिसे हम नाज़ी (Nazi) पार्टी के नाम से जानते हैं। 

प्राचीन यूरोप के hakerkreuz (Hooked Cross) प्रतीक जिसे भारत में हम स्वास्तिक चिन्ह के नाम से जानते हैं को इस पार्टी का प्रतीक चिन्ह बनाया गया।

जुलाई 1921ई. में हिटलर को नाज़ी पार्टी में Führer की उपाधि मिली। 

अब हिटलर खुलेआम The Weimer Republic की आलोचना करने लगा। साल 1923ई. में इसने जर्मनी के Bavaria State में तख्तापलट करने की कोशिश करी और इसके लिए 8 नवंबर 1923ई. के दिन इसने गोली चलाकर क्रांति की घोषणा करी लेकिन ये तख्तापलट करने में असफल रहा। इतिहास में इस घटना को Beer Hall Pustch के नाम से जाना जाता है।

इस उद्दंडता के कारण हिटलर को पांच वर्ष की सजा सुनाई गई और इन्हे जेल में डाल दिया गया लेकिन नौ महीने बाद ही इसे छोड़ दिया गया। 

जेल में ही इन्होंने अपनी पहली किताब Men Kampf लिखी और जेल से रिहा होने के बाद इन्होंने इसका दूसरा संस्करण भी लिखा। साल 1928ई. में इनकी दूसरी किताब Hitlers Zweites Buch आई जो उस समय प्रकाशित नहीं हो पाई थी, साल 1962ई. में इसके अंग्रेज़ी अनुवाद को प्रकाशित किया गया। Beer Hall Pustch घटना के बाद हिटलर पूरे जर्मनी में जानें जाने लगे।

इधर युद्ध की क्षतिपूर्ति (Reparations) पटाने के कारण जर्मनी की हालत ख़राब हो रखी थी और वह आर्थिक संकटों से जूझ रहा था। ऐसे समय में अमेरिका ने साल 1924ई. से जर्मनी को लोन देना शूरू किया जिससे जर्मनी की बहुत मदद हुई।

1929ई. में जर्मनी में आम चुनाव (General Election) हुआ जिसमें नाज़ी (Nazi) पार्टी ने भी भाग लिया। लेकिन इस चुनाव में नाज़ी पार्टी कुछ ख़ास नहीं कर पाई और इन्हें को सिर्फ़ 2.6 फ़ीसदी वोट मिले जबकि बाकी के 97.4 फ़ीसदी वोट The Weimer Republic और Communist Party को मिले और इस तरह से The Weimer Republic पार्टी फिर से सत्ता में आई।

1929ई. में महामंदी (Great Depression of 1929) आती हैं जिसकी शुरूआत अमेरिका से हुई थी, लेकिन धीरे–धीरे इसने पूरी दुनियां को अपने चपेट में ले लिया। 

महामंदी के कारण जर्मनी की हालत और भी खराब हो गई लाखों लोग बेरोजगार हो गए फैक्ट्रियां बंद होनी लगी लोग भूखे मरने लगे और ऐसी स्थिती में अमेरिका ने भी जर्मनी को लोन देना बंद कर दिया था।

हिटलर : जर्मनी का तानाशाह 

सबसे क्रूर तानाशाह एडोल्फ हिटलर की कहानी

अब जर्मनी एक ऐसे मसीहा को ढूंढ रही थी जो उसे इस आपदा से बाहर निकाल सके और इस आपदा को अवसर में बदलने के लिए राजनैतिक पार्टियां भी सामने आने लगीं।

लेकिन जनता को प्रभावित करने के मामले में हिटलर सबसे आगे थे, जब हिटलर बोलता था तो लोग जोश में आ जाते थे। हिटलर एक गज़ब का वक्ता था।

1932ई. में जर्मनी में राजनैतिक अस्थिरता आई जिस बात का फ़ायदा हिटलर को हुआ। अस्थिरता को दूर करने के लिए गठबंधन की सरकार बनाने और हिटलर को चांसलर (Chancellor) बनाने की योजना बनाई गई जिस पर हिटलर राजी हो गए। 

इससे पहले हिटलर जर्मन राष्ट्रपति Paul von Hindenburg से खुद को चांसलर बनाने के लिए फ़रियाद कर चुके थे लेकिन तब हिंडेनबर्ग ने इनके फरियादों को अस्वीकार कर दिया था।  

इस प्रकार से जर्मनी में गठबंधन की सरकार ब,नी और 30 अप्रैल 1933ई. के दिन हिटलर को जर्मनी का चांसलर बनाया गया। चांसलर का पद जर्मनी के मंत्रिमंडल का सर्वोच्च पद होता है।

मार्च 1933ई. में जर्मनी में जनरल इलेक्शन होता है और हिटलर के नाज़ी पार्टी को इसमें 37फ़ीसदी वोट मिलते हैं। 

इन दोनों सफलताओं के बाद से हिटलर की तानाशाही शुरू हो जाती है और इसी के साथ ही जर्मनी में नाज़ी जर्मनी युग की शुरूआत होती है।

1933ई. में हिटलर ने मीडिया पर प्रतिबंध लगा दिया और इसके साथ ही सभा करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

इसके बाद ये विपक्षी पार्टियों का सफ़ाया करने लगा, इसने कम्युनिस्ट पार्टी के सभी नेताओं को जेल में डलवा दिया और उन्हें प्रताड़ित करने लगा। हिटलर के प्रताड़ना के कारण कई नेताओं की मृत्यु हो गई और इस तरह से जर्मनी से कम्युनिस्ट पार्टी का सफ़ाया हो गया।

24 मार्च 1933ई. के दिन जर्मनी में The Enabling Act पास हुआ। इस कानून के पास होने के बाद जर्मनी में नाज़ी पार्टी को छोड़कर बाकी सभी पार्टियों पर प्रतिबंध लगा दिया गया। 

इस प्रकार से जर्मनी की संपूर्ण सत्ता सिर्फ एक ही पार्टी के पास आ गई और हिटलर पूरे जर्मनी तानाशाह बन गया।

इसके बाद हिटलर ने वर्साय कि संधी को मानने से इंकार कर दिया और सेना में बेतहाशा वृद्धि करने लगा। 1933ई. मे ही हिटलर ने जर्मनी को लीग ऑफ नेशंस से अलग कर लिया, इसका मतलब यह था कि अब हिटलर किसी भी के ऊपर हमला कर सकता था।

हिटलर ने जर्मनी में चार अलग–अलग तरह की सेना बनाई –

1. SA - ये पुलिस सेना होती थी।

2. SS - ये नियंत्रण सेना होती थी।

3. SD - ये सुरक्षा सेना होती थी।

4. Gastapo – ये गुप्त पुलिस होती थी।

हिटलर ने इन सभी सेनाओं को बेहिसाब अधिकार और कुछ भी करने की खुली छूट दे रखी थी। जिस कारण से नाज़ी जर्मनी में अराजकता फैलने लगी। ये सेनाएं मासूम लोगों के साथ अत्याचार करने लगीं जिनमें हत्या और बलात्कार जैसे जघन्य अपराध भी शामिल हैं। देखते ही देखते नाज़ी पार्टी जर्मनी की एक अपराधिक पार्टी बन गई।

1936ई. से हिटलर साम्राज्य विस्तार करने के काम पर लग गया। इसी साल इसने राइनलैंड (Demiliterized Zone) पर कब्जा कर लिया। इसके बाद इसने इसने ऑस्ट्रिया, सूडेटेनलैंड और चेकोस्लोवाकिया जैसे देशों पर एक–एक करके कब्ज़ा कर लिया। 1938ई. आते–आते हिटलर ने वर्साय की संधी के तहत छीने गए जर्मनी के सभी भू–भागों को भी वापस ले लिया।

द्वितीय विश्व युद्ध(WWII) की शुरूआत 

हिटलर के विस्तारवादी नीतियों पर ब्रिटेन और फ्रांस की नज़र थी लेकिन ये दख़ल नहीं दे रहे थे। इसी बीच साल 1939ई. में हिटलर ने पोलैंड पर कब्जा करने की रणनीति बनाई। इसपर ब्रिटेन और फ्रांस ने चुप्पी तोड़ते हुए नाज़ी जर्मनी को चेतावनी दी की अगर नाज़ी जर्मनी ने पोलैंड पर हमला किया तो ब्रिटेन और फ्रांस मिलकर जर्मनी के ऊपर हमला कर देंगे।

हिटलर ने ब्रिटेन और फ्रांस की धमकी को नजरंदाज दिया और सोवियत संघ (USSR) के साथ मिलकर 1 सितंबर 1939ई. के दिन पोलैंड पर हमला कर दिया। इस हमले के दो दिन बाद 3 सितंबर 1939ई. के दिन ब्रिटेन और फ्रांस ने भी नाज़ी जर्मनी के खिलाफ़ वॉर डिक्लेयर कर दिया और देखते ही देखते इस युद्ध ने द्वितीय विश्व युद्ध का रूप ले लिया। 

इस युद्ध में फ्रांस जैसा शक्तिशाली देश भी हिटलर के सामने टिक नहीं पाया और 1941ई. आते–आते हिटलर ने यूरोप के अधिकांश देशों पर कब्ज़ा कर लिया था। लेकिन ब्रिटेन अभी तक अपराजित था और  हिटलर को कांटे की टक्कर दे रहा था। 

होलोकॉस्ट का आयोजन (The Holocaust)

The holocaust nazi Germany adolf Hitler

“The Holocaust” जिसे हिटलर “Final Solution” कहता था इतिहास के सबसे खतरनाक नरसंहारों में से एक था। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आयोजित इस जनसंहार का मुख्य उद्देश्य यहूदियों का समूल नाश करना था।

नाज़ी पार्टी सिर्फ़ Nordic German Aryans (Blonde) लोगों को कुलीन मानती थी और बाकी मूल के लोगों को तुच्छ समझती थी। और इनमें भी Anti–Semitic विचारधारा के कारण ये यहूदियों से सबसे ज्यादा नफ़रत करते थे।

हिटलर के यहूदियों से नफ़रत करने के कारणों में से एक कारण यह भी था की इन्होंने ब्रिटेन के साथ Balfour Declaration Agreement किया था जिसके कारण प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन को आर्थिक सहायता मिली थी।

एडोल्फ ईचमैन होलोकॉस्ट के आयोजक थे, यहूदियों के समूल नाश के लिए हिटलर ने इनसे पुरे यूरोप में जगह–जगह पर Concentration Camps (यातना शिविर) बनवाए जहां पर ये पूरे यूरोप से यहूदी लोगों को ट्रेनों में ठूस–ठूसकर लाते थे। 

इन शिविरों में न सिर्फ यहूदियों को डाला गया था बल्कि बहुत से दूसरे मूल (Race) के लोगों को भी डाला गया था। जिनमें जिप्सी (Gypsies), रोमानी (Romani), अश्वेत (Blacks), अपाहिज़, समलैंगिक, मानसिक रूप से अविकसित और हिटलर से असंतुष्ट आदि लोग प्रमुख थे।

इन यातना शिविरों में डाले गए लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता था इनको खाने के लिए नही दिया जाता था, इनसे दिन रात काम कराया जाता था, इन्हें असहनीय दर्द देकर प्रताड़ित किया जाता था।

हिटलर चाहता था कि ये लोग काम करते–करते ही मर जाएं और जो लोग काम करते–करते नहीं मरते थे हिटलर उनको गैस चैंबर(Gas Chamber) में डलवा देता था। गैस चैंबर में जहरीली गैस छोड़कर एक साथ सैकड़ों लोगों को मार दिया जाता था। 

यातना शिविरों में बंद लोगों के साथ ‘नाज़ी मानव प्रयोग’ हुआ था, इन प्रयोगों के बारे में सुनकर आपकी रूहें कांप जाएंगी। इनको बिना दर्द की दवा दिए इनके हाथ पैर को काट दिए जाते थे, अन्य व्यक्ति के शरीर के अंगो को अन्य व्यक्ति के शरीर में फिट किया जाता था। इनको जहाजों से गिरा कर देखा जाता था की क्या होता है? इन्हे पानी में डूबो कर देखा जाता था की ये कितने टाइम में मरते हैं? युद्ध बंदियों को जिस प्रकार से टॉर्चर किया जाता है उसी प्रकार से इनको भी टॉर्चर करके देखा जाता था की ये कितना दर्द सहने के बाद मरते हैं? इसी तरह के और ही न जानें कितने अमानवीय कृत्य हुए थे उस दौरान।

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इन यातना शिविरों में लगभग डेढ़ करोड़ लोगों को डाला गया था जिनमें से लगभग एक करोड़ दस लाख से लेकर एक करोड़ बीस लाख लोग मारे गए थे। 

इनमें साठ लाख लोग यहूदी थे, पचास लाख जिप्सी और अश्वेत लोग थे, दस लाख पोलैंड के लोग थे और लगभग सत्तर हजार समलैंगिक, अपाहिज और मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग थे।

हालाकि होलोकास्ट डेनियल में इन बातों का खंडन किया गया है, लेकिन अधिकतर लोग होलोकॉस्ट डेनियल को Conspiracy Theory मानते हैं।

जर्मनी में बड़े–बड़े बुद्धिजीवी भरे–पड़े थे लेकिन हिटलर के डर से उन्होंने जर्मनी छोड़ दी, अल्बर्ट आइंस्टीन इसके सबसे बडे़ उदाहरण हैं ये अपनी जान बचाने के लिए जर्मनी को छोड़कर अमेरिका चले गए।

हिटलर का पतन 

द्वितीय विश्व युद्ध 1939ई. में शुरू हुआ था और 1941ई. आते–आते नाज़ी जर्मनी ने लगभग पूरे–पूरे यूरोप पर कब्जा कर लिया था। यूरोप में एक ब्रिटेन ही एक शक्तिशाली देश बचा था जिसे हिटलर अभी तक हरा नहीं पाया था।

अगर हिटलर यहीं पर रुक जाता तो नाज़ी जर्मनी आज के समय में एक बहुत बड़ी ताकत और शक्तिशाली देश होता लेकिन हिटलर की महत्वकांक्षा ने उसे ले डूबा।

पश्चिमी मोर्चे पर ब्रिटेन नाज़ी जर्मनी को कड़ी चुनौती दे रहा था तो हिटलर ब्रिटेन को फिलहाल ठंडे बस्ते में रखकर पूर्व में सोवियत यूनियन रूस (USSR) पर सरप्राईज अटैक करने की योजना बनाई और 22 जून 1941ई. के दिन सोवियत यूनियन पर हमला कर दिया और यही हिटलर की सबसे बड़ी गलती साबित हुई।

इस Invasion को Operation Barbarosa नाम दिया गया था। शुरुआत में हिटलर को अच्छी सफ़लता मिली और उसने रशिया के बहुत बड़े भू–भाग को कब्ज़ा लिया। लेकिन फिर मौसम ने अपना रुख बदला, रशिया में कड़ाके की ठंड पड़ती है और वहां के ठंड में जर्मन सेना Survive नहीं कर पा रही थी लेकिन रशिया की रेड आर्मी इन सब की आदी थी। 

नाज़ी जर्मनी ने रशिया के साथ Battle of Moscow, Battle of Kursk, battle of Leningrad और Battle of Stalingrad जैसी लड़ाईयां लड़ी। इनमें लड़ाइयों में Battle of Laningrad सबसे लंबी चली जिसमें लगभग दस लाख लोगों की जानें गईं। Battle of Stalingrad इस युद्ध में एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई, इस युद्ध में USSR की सेना को नाज़ी जर्मनी की सेना को खदेड़ने में सफ़लता मिली। 

ईधर पर्ल हार्बर घटना के बाद अमेरिका भी WW-II में शामिल हो गया था और इस तरह से WW-II में दो गुट बन चुके थे। एक था Allied Power का और एक था Axis Power का और इन्हीं दोनों गुटों के मध्य द्वितीय विश्व युद्ध हो रहा था।

Allied Power में – फ्रांस, ब्रिटेन, अमेरिका और सोवियत यूनियन जैसे देश थे।

Axis Power में – इटली, जर्मनी और जापान जैसे देश थे।

1943ई. तक इटली सरेंडर कर चुका था और अब हिटलर यूरोप में अकेला पड़ गया था। ईधर अमेरिका भी जापान को कड़ी चुनौती दे रहा था। 1944ई. से हिटलर का पूर्णतः पतन शुरू होता है, इस साल सोवियत संघ (USSR) ने जर्मनी पर जबरदस्त तरीके से पलटवार किया और अपने हारे हुए पूरे भू–भागों को नाज़ी जर्मनी से वापस ले लिया।

यहीं से हिटलर के नाज़ी जर्मनी पर तीन मोर्चे (Front) से हमला होना शुरू हो गया, ईस्टर्न फ्रंट से USSR हमला कर रहा था वेस्टर्न फ्रंट और सदर्न फ्रंट से Allied Army हमला कर रही थी।

हिटलर के द्वारा जीते गए सभी भू–भाग अप्रेल 1945ई. आते–आते एक–एक करके उसके हाथों से निकल गए। Allied Army नाज़ी जर्मनी की सेना को बुरी तरह से हराते हुए जर्मनी की राजधानी बर्लिन तक पहुंच गई थी।

हिटलर की सेना परास्त हो चुकी थी, अब हिटलर को अपना अंत साफ़ नज़र आ रहा था। ऐसे समय में हिटलर ने अपने ख़ास व्यक्तियों को बुलाया और उनसे कहा की अगर वो मर जाता है तो पहले उसे जला देना फिर बाद में दफनाना। शायद हिटलर अपने मित्र बेनिटो मुसोलिनी की शर्मनाक मौत से खौफ़जदा रहा होगा इसलिए उसने ऐसा आदेश दिया होगा।

नाज़ी जर्मनी की हार पूरी तरह से निश्चित हो जानें के बाद 30 अप्रैल 1945ई. के दिन हिटलर ने अपने कमरे में खुद की कनपट्टी पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली। और इस तरह से इतिहास के सबसे क्रूर तानाशाहों में से एक नाज़ी जर्मनी के तानाशाह एडोल्फ हिटलर का अंत हो गया।

हिटलर के मृत्यु के बाद की थ्योरीज 

हिटलर के मृत्यु के बाद USSR की आर्मी ने हिटलर के कब्र को खोदा और वहा से उसके दांत और खोपड़ी को निकाला जिसपर गोली चलने की निशान थी। इनको USSR के फोरेंसिक लैब में भेजा गया ताकि कन्फर्म हो सके की वाकई में एडोल्फ हिटलर मर चुका है। यहां पर हिटलर के पर्सनल डॉक्टर ने हामी भरी की कब्र से निकाला गया दांत और खोपड़ी हिटलर की ही है।

इसके बावजूद बहुत सी थ्योरीज सामने आई जिनमें यह दावा किया की हिटलर मरा नहीं है। कुछ लोगो का कहना था की हिटलर ने अपने बहुत से हमशक्ल बना रखे थे और हो सकता है कि कब्र से मिली खोपड़ी और दांत उनमें से ही किसी एक की हो। इसके अलावा हिटलर को किसी ने सुसाइड करते हुए भी नहीं देखा था। कुछ लोगों का कहना था की हिटलर बर्लिन छोड़ के चला गया था।

कुछ लोगों ने यहां तक दावा किया की उसे 1955ई. में कोलंबिया में देखा गया है और वह जर्मन कम्यूनिटी के साथ रह रहा है। कुछ सालों बाद हिटलर को अर्जेंटीना में देखे जानें का दावा किया गया। और कहा जाता है कि हिटलर की मृत्यु 90वर्ष की आयु में हुईं। लेकिन इन सभी थ्योरीज को कंसीपिरेसी थ्योरी करार दिया गया था।

साल 2009ई. में एक और चौकाने वाली बात सामने आई जिसमें कहा गया कि कब्र से जो खोपड़ी मिली है वो किसी आदमी की नहीं बल्कि औरत की हैं।

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