Benito Mussolini इटली का क्रूर तानाशाह

बेनिटो मुसोलिनी इटली का एक क्रूर तानाशाह और फासीवादी नेता था जिसकी साम्राज्यवादी महत्वकांक्षा ने इटली को "द्वितीय विश्व युद्ध" के मुंह में धकेला। ये एक लोहार का बेटा था जिसने "रोम का मार्च" करके खुद को इटली का प्रधानमंत्री बनवाया और हिटलर की मदद से "Salò Republic" नामक देश भी बनाया।

Benito Mussolini इटली का क्रूर तानाशाह

इसकी साम्राज्यवादी महत्वकांक्षा ने लाखों लोगों की बलि ले ली लेकिन अंत में इसके हाथ कुछ न आया और अंततः इसे ऐसी बर्बर मौत मिली जिसने हिटलर का भी रूह कंपाया।


Benito Mussolini का प्रारंभिक जीवन

बेनिटो मुसोलिनी का जन्म 29 जुलाई, 1883ई. को पूर्वोत्तर इटली के फोर्ली प्रांत के एक छोटे से शहर डोविया दी प्रेडापियो में हुआ। ये एलेसेंड्रो मुसोलिनी नामक एक ब्लैकस्मिथ और उनकी पत्नी रोजा मालटोनी जो कि एक कैथलिक शिक्षिका थीं, के तीन बच्चों में सबसे बड़े बेटे थे, Arnaldo और Edvige इनके भाई थे।

राजनैतिक झुकाव के कारण इनके पिता ने इनका नाम लिबरल मैक्सिकन प्रेसिडेंट Benito Juarez, समाजवादी Andrea Costa और समाजवादी Amilcare Cipriani के नाम पर Benito Amlicare Andrea Mussolini रखा।

बाल्यावस्था में ये अपने पिता के कामों में उनकी मदद करते थे और इनके पिता इन्हे अपने साथ बड़े–बडे़ राजनैतिक सभाओं में ले जाया करते थे।

पढ़ाई–लिखाई के लिए इन्हे Faenza कस्बे में Salesian Monks द्वारा संचालित एक बोर्डिंग स्कूल में दाखिल कराया गया। बचपन में ये शर्मीले थे लेकिन समय के साथ उग्र, उद्दंड और घमंडी प्रवृत्ति के होने लगे। ये अक्सर अपने शिक्षकों और सहपाठियों से भीड़ जाते थे तथा स्कूल में अक्सर इनके साथ मारपीट होती रहती थी। नौ वर्ष की आयु में इन्होंने अपने एक सहपाठी पर कलमतराश (Penknife) से वार दिया जिस वजह से इन्हें Salesian Monks के स्कूल से निकाल दिया गया।

इसके बाद इन्हें Forlimpopoli के एक गैर–धार्मिक स्कूल में भर्ती कराया गया जहां पर इन्हे अच्छे ग्रेड्स मिले। साल 1901ई. में इन्हें टीचिंग सर्टिफिकेट मिला और ये कुछ समय के लिए शिक्षक भी बने।


Mussolini का राजनीति में प्रवेश 

पिता के राजनैतिक झुकाव के कारण ये बचपन से ही राजनैतिक परिवेश में रहे तथा साल 1900ई. में इन्होंने "सोशलिस्ट पार्टी" से अपनी राजनैतिक सफ़र की शुरूआत की। इन्हें पार्टी में जल्द ही अच्छी सफलता मिलने लगी और इनकी पदोन्नति भी होने लगी।

Mussolini का Switzerland दौरा

अनिवार्य मिलिट्री सेवा से बचने के लिए साल 1902ई. में ये  स्विटजरलैंड चले गए जहां ये महान दार्शनिक Friedrich Nietzsche, समाजवादी Vilfredo Pareto और सिंडीकलिस्ट Georges Sorel के विचारों को पढ़ने लगे।

इन्होंने स्विटजरलैंड के Geneva, Fribaurg और Bern शहर में Stonemason(पत्थरों पर कलाकारी करने वाला) की तरह काम भी किया।

स्विट्जरलैंड में ये Italian Socialist Movement मे शामिल हुए और मीटिंग्स अरेंज करने लगे तथा मजदूरों को भाषण देने लगे। यहां इन्होंने L’Avvenire Del Lavoratore अखबार में काम किया तथा Causanne शहर के Italian Workers Union के सचिव भी बने।

स्विट्जरलैंड में मजदूरों की General Strike की वकालत करने के कारण साल 1903ई. में इन्हें Bern पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया और दो हफ्तों के लिए जेल में रखा। सजा समाप्त होने के बाद इन्हें इटली भेज दिया गया लेकिन ये वापस स्विट्जरलैंड आ गए।

कागजों में हेरफेर के आरोप में साल 1904ई. में इन्हें  पुनः गिरफ्तार कर लिया गया तथा जेनेवा शहर से निष्कासित कर दिया गया जिसके बाद ये Lausanne शहर में रहने लगे। यहां ये University of Lausanne के सामाजिक विज्ञान विभाग में Vilfredo Pareto के अध्यायों को पढ़ने लगे। इसके बाद साल 1905ई. में ये इटली वापस आ गए और आर्मी को सेवा देते हुए राजनैतिक तौर पर सक्रिय हो गए।

इनके प्रधानमन्त्री बनने के बाद साल 1937ई. में University of Lausanne ने अपनी 400वीं वर्षगाठ के मौके पर इन्हें ‘डॉक्टरेट’ की उपाधि दी।


World War–I में भागीदारी तथा Socialist Party से निष्कासन 

साल 1909ई. मे ये लेबर पार्टी के प्रेसिडेंट बनने के उद्देश्य से ऑस्ट्रिया–हंगरी साम्राज्य के इटालियन बोले जानें वाले Trento शहर गए। साल 1910ई. में ये वापस आ गए और वीकली अखबार Lotta Di Classe (The Class Struggle) को सम्पादित करने लगे।

साल 1911ई. में इन्होंने सोशलिस्ट पार्टी के नेतृत्व में इटली द्वारा लीबिया के साथ किए जा रहे युद्ध का विरोध किया तथा दंगो में शामिल हुए जिस वजह से इन्हें से पांच महीने के लिए जेल जाना पड़ा। 

साल 1912ई. में ये सोशलिस्ट विचाराधारा पर आधारित "Avanti" अखबार के एडिटर बने। ये एक गजब के संपादक थे और लोग इनकी संपादकी के कायल थे।

लेकिन अब मुसोलिनी को लगने लगा था कि सोशलिज्म कमजोर पड़ रहा है जिस वजह से ये नए–नए विचारधाराओं की ओर आकर्षित होने लगे। परिणामस्वरूप जब प्रथम विश्व युद्ध के दौरान इटली की सोशलिस्ट पार्टी युद्ध को लेकर दुविधा में थी और युद्ध का विरोध कर रही थी ऐसे समय में मुसोलिनी खुलकर युद्ध के पक्ष में बोल रहे थे।

विश्व युद्ध में इटली की भागीदारी के समर्थन के कारण 1914ई. में राजनैतिक तथा सैद्धांतिक तौर पर अयोग्य घोषित कर इन्हें सोशलिस्ट पार्टी से निष्कासित कर दिया गया तथा Avanti न्यूज पेपर के एडिटर पद से भी हटा दिया गया।

सोशलिस्ट पार्टी से निष्कासन के बाद नवंबर 1914ई. में इन्होंने अपनी खुद की अखबार "II Popolo De Itaila "पब्लिश किया जिसमें ये "Avanti" अखबार के बिल्कुल विपरीत विचाराधारा वाले लेख लिखते थे। 

निष्कासन के बाद इन्होंने Class Conflict की विचारधारा का समर्थन करना बंद कर दिया तथा Revolutionary Nationalism का समर्थन करने लगे।

साल 1914ई. में इसने Revolutionary Nationalism विचारधारा पर आधारित एक आंदोलन शुरू किया जिसे फासिस्ट(Fascist) आंदोलन के नाम से जाना गया। आगे चलकर 9 नवंबर 1921ई. को इसने इसी विचारधारा पर आधारित एक पार्टी बनाई जिसे "नेशनल फासिस्ट पार्टी" के नाम से जाना गया तथा इस पार्टी के विचारधारा को "फांसीवाद" के नाम से जाना गया।

साल 1915ई. में इटली ने Allies Power की ओर से प्रथम विश्व युद्ध में प्रवेश लिया और मुसोलिनी भी बतौर सैनिक इस युद्ध में  शामिल हुआ। लेकिन साल 1917ई. में बम विस्फोट से घायल हो जानें के कारण ये युद्ध से बाहर हो गए। इसपर कुछ लोगों का कहना है की 'ट्रेनिंग के दौरान इनके पास एक ग्रेनेड फट गया था तो कुछ का कहना है की इनके ट्रेंच में मोर्टार बम फट गया था' जिस वजह से ये घायल हुए।

फासीवाद क्या है? What is Fascism?

"फासीवाद" शब्द इटैलिक शब्द "फासिओ" से आता है, जिसका अर्थ है "बंडल" या "संघ होता है।"

फासीवाद 20वीं सदी में यूरोप में उभरा एक Extreme Right राजनैतिक विचारधारा  है जो चरम राष्ट्रवाद, सत्तावाद, अधिनायकवाद और वन पार्टी रूल जैसे सिद्धांतों पर जोर देती है। फासीवाद चाहता है कि देश की सत्ता पूरी तरह से केंद्रीकृत हो और ऊपर में सिर्फ़ एक ही व्यक्ति बैठा हो जो सब पर शासन करे।

फासीवाद में नेता को मसीहा की तरह पेश किया जाता था तथा जनता को यकीन दिलाया जाता था कि वह नेता ही राष्ट्र का उद्धार करेगा और पुराने गौरव को वापस लायेगा।

मुसोलिनी इटली की जनता से रोमन साम्राज्य के समय के उस पुराने गौरव को वापस लाने के वादे करता था और कहता था की इसे प्राप्त करने के लिए राष्ट्रहित को सर्वोपरि रखना होगा और इसके लिए व्यक्तिगत हितों का दमन भी होगा। इटली की जनता को ऐसे ही सपने दिखा–दिखाकर मुसोलिनी काफ़ी लोकप्रिय हो गया था।

फासीवादी विचाराधारा के अनुसार शिक्षा, सुरक्षा, स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, कानून व्यवस्था आदि पर सरकार का नियंत्रण होना चाहिए। फासीवादी विचाराधरा कहती है की देश में सिर्फ एक ही पार्टी होनी चाहिए और बाकी सभी पार्टियों को समाप्त कर देना चाहिए। फासीवाद में मीडिया पर, सभा करने पर, और संगठन बनाने पर पाबंदी होती है।


मुसोलिनी का उदय (Rise of Mussolini)

घायल होने के बाद ये युद्ध से वापस आ गए और ब्रिटेन के लिए £100 वीकली के वेज पर प्रो–वॉर प्रोपेगंडा फैलाने लगे।

मुसोलिनी के एक विश्वासपात्र Dino Grandi ने इटली में व्यवस्था स्थापित करने के नाम पर Black Shirts नामक एक शसत्र दस्ते की स्थापना करी जो इटली की जनता के लिए एक परेशानी बन गई। 

ब्लैक शर्ट्स युद्ध में योगदान दें चुके दिग्गज योद्धा होते थे और अब ये मुसोलिनी के इशारे पर सोशलिस्टों और कम्युनिस्टों का दमन कर रहे थे। ब्लैक शर्ट्स के आक्रमक रवैए के कारण फासिस्ट पार्टी की पॉवर बढ़ने लगी और ये ‘राष्ट्रीय फासिस्ट पार्टी’ बन गई। 

साल 1921ई. में मुसोलिनी ने चैंबर ऑफ डेप्यूटीज का चुनाव जीता। और अब तो सरकार भी मुसोलिनी से खौफ खाने लगी थी।

रोम का मार्च (March on Rome)

27–28अक्टूबर सन् 1922ई. की दरमियानी रात मुसोलिनी के नेतृत्व में लगभग तीस हजार फासीवादी ब्लैकशर्ट्स रोम में इकट्ठा हो गए और इटली के राजा Victor Emmanuel III से लिबरल प्रधानमंत्री Luigi Facta को हटाने तथा नए फासिस्ट प्रधानमंत्री नियुक्त करने की मांग करने लगे।

तब Luigi Facta ने इटली के राजा से मार्शल लॉ लगाने की बात कही लेकिन 28 अक्टूबर की सुबह राजा ने मार्शल लॉ लगाने से मना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप Luigi Facta को इस्तीफा देना पड़ा।

इसके बाद Victor Emmanuel III ने फासिस्ट पार्टी से सरकार बनाने को कहा और बेनिटो मुसोलिनी को उस सरकार का प्रधानमंत्री नियुक्त किया । 

राजा का यह विवादास्पद निर्णय उनके डर का प्रतिफल था, राजा को डर था की अगर उसने मार्शल लॉ लगा दिया तो इटली में गृहयुद्ध शुरू हो जाएगा और हो सकता है की इससे इटली में राजशाही समाप्त हो जाए।

स्क्वाड्रिस्टी वायलेंस (Squadristi Violence)

साल 1923ई. में इटली ने Corfu पर हमला किया और इटली का यह निर्णय पूरी तरह से लीग ऑफ नेशंस के नियमो के खिलाफ़ था।

इसी साल जून 1923ई. में मुसोलिनी की सरकार ने Acerbo Law पास किया जिसके बाद इटली Single National Constituency(एकल राष्ट्रीय निर्वाचन क्षेत्र) बन गया।

1924ई. में सोशलिस्ट पार्टी के डेप्युटी Giacomo Matteotti ने अनियमितताओं को देखते हुए चुनाव को रद्द करने की सिफारिश करी लेकिन इस सिफारिश के कुछ दिनों बाद ही इनकी हत्या हो गई। लोगों का मानना है की इस हत्या के पीछे मुसोलिनी का हाथ है।

मुसोलिनी के तानाशाही रवैये को देखते हुए विपक्षी पार्टियां एकजुट होने लगी जिस वजह से मुसोलिनी को सत्ता खोने का डर सताने लगा। इसी डर के कारण इसने स्क्वाड्रिस्टी(Squadristi) की मदद से विपक्षियों पार्टियों के दमन का अभियान शुरू किया। 

Squadristi क्या है? Black Shirts ही Squadristi है। Squadristi ने सोशलिस्ट और कम्युनिस्ट पार्टी के नेताओं के दमन के लिए हिंसा का सहारा लिया। ये विपक्षियों के घरों में, कार्यालयों में आग लगा देते थे, रास्ते में कूट देते थे यहां तक की हत्या भी कर देते थे। Squadristi का इस्तेमाल जनता पर नियंत्रण, विपक्ष का दमन और दबदबा कायम करने के लिए होता था। 

इटली में हुए इन हिंसात्मक घटनाओं को Squadristi Violence के नाम से जाना जाता है। Squadristi को साल 1925ई. में भंग कर दिया गया लेकीन इसका modus operandi लंबे समय तक इटालियन राजनीति का हिस्सा रहा।


Fascist Italy–मुसोलिनी शासनकाल 

लीगल डिक्टेटरशिप (Legal Dictatorship)

मुसोलिनी One Man Leadership की बात करता था और इटली में Totalitarian State स्थापित करना चाहता था। ये खुद को जूलियस सीजर की तरह महान बताता था तथा खुद को II Duce कहलवाता था।  

मुसोलिनी मीडिया पर पूर्ण नियंत्रण रखता था और चाहता था की जनता का पूरा ध्यान(Attention) इसी पर हो। ये बगावती रुख़ इख्तियार करने वाले लोगों को कुचल देता था।

Christmas Eve Law

इटली में 24 दिसंबर 1925ई. के दिन Christmas Eve Law पास हुआ जिसके बाद मुसोलिनी "President of the Council of Ministers" से "Head of the Government" हो गए। 

इस कानून के बाद अब मुसोलिनी संसद के प्रति जवाबदेह नहीं रह गए थे और इन्हें सिर्फ इटली के राजा ही इनके पद से हटा सकते थे। इसी कानून के बाद मुसोलिनी इटली के संसद का एजेंडा तैयार करने के लिए एकमात्र योग्य व्यक्ति बन गए। इन्हीं सब प्रावधानों के कारण अब इटली में de facto (legal Dictatorship) लागू हो गई।

विपक्षी पार्टियों पर प्रतिबंध

7 अप्रैल 1926ई. के दिन एक आयरिश महिला Violet Gibson ने मुसोलिनी की हत्या करने की कोशिश की लेकीन असफल रही, महिला को अरेस्ट कर लिया गया। 31अक्टूबर 1926ई. के दिन एक पंद्रह वर्षीय बालक Anteo Zamboni ने भी इनकी हत्या की कोशिश करी लेकीन असफल रहा। रोम में Gino Lucetti ने इनकी हत्या की कोशिश करी, Michele Schirru नामक व्यक्ति ने इनकी हत्या की कोशिश की लेकिन ये सभी असफल रहे। 

इस तरह के हमलों का हवाला देते हुए मुसोलिनी ने इटली में सभी विपक्षी पार्टियों को गैरकानूनी करार कर दिया और इनपर प्रतिबंध लगा दिया। (हालांकि इटली 1925ई. से वन पार्टी नेशन बन चुका था)।

इनके प्रधानमंत्री रहते हुए भी इनकी हत्या की कई कोशिशें हुई लेकीन किसी को सफलता नहीं मिली। 1938ई. में Slovene partisan group द्वारा मुसोलिनी की हत्या की कोशिश की गई लेकिन इनका प्रयास भी असफल रहा।

लीगल डिक्टेटर (Legal Dictator)

इटली में 1928ई. में पारंपरिक आम चुनाव की व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया तथा इसके स्थान पर जनमत–संग्रह(Plebscite) की नई व्यवस्था लाई गई। इस नई व्यवस्था के तहत् Grand Council of Fascism(Fascist Grand Council) नेताओं के नामों की एक सिंगल लिस्ट जारी करेगी और जनमत के आधार पर विजेताओं का चयन होगा।

1930ई. आते–आते मुसोलिनी ने अपने सुप्रीम लीडर बनने के रास्ते में आने वाले लगभग सभी संवैधानिक अड़चनों को खत्म कर दिया तथा सभी शक्तियों को अपने हाथ में लेकर पुलिस स्टेट की स्थापना करी। इन्हीं सब डेवलपमेंट्स के कारण मुसोलिनी इटली का लीगल डिक्टेटर बन गया।

Mussolini की आर्थिक नीति 

इटली को आर्थिक रूप से सक्षम बनाने के लिए मुसोलिनी ने कई अहम काम किए, इसने अनाज की उत्पादकता बढ़ाने के लिए पांच हजार नए खेत बनवाए जिसके परिणाम स्वरूप पांच नए एग्रीकल्चरल कस्बे बने। इन कस्बों में से एक कस्बे का नाम मुसोलोनिया रखा गया था जिसे बाद में बदलकर Arborea कर दिया गया। कृषि के क्षेत्र में लाए गए इन रिफॉर्म्स को "बैटल ऑफ व्हीट" के नाम से जाना जाता है।

1928ई. में “Battle of Land” की शुरूआत की जिसे मिलिजुली सफलता मिली, कुछ खास फ़ायदा नहीं होने के कारण 1940ई. में इसे बंद कर दिया गया।

वैश्विक महामंदी के दौरान इन्होंने "Gold for the Fatherland" initiative की शुरूआत करी जिसके तहत इन्होंने देश को मंदी से उभारने के लिए नागरिकों से स्टील आदि से बने वस्तुओं के बदले में सरकार को सोना (स्वर्ण आभूषण) दान करने की मांग करी। 

इस मांग के बाद इनकी पत्नी Rachele Mussolini ने अपनी शादी की अंगूठी को दान कर दिया। दान से संग्रहित सोने को गलाकर स्वर्ण पट्टिकाएं(Gold Bars) बनाई गई और इन्हें बैंको में बांट दिया गया।

इनके शासनकाल में रेल व्यवस्था में काफ़ी सुधार आया, पटरियों की जालें बिछने लगीं, बोगियों की सफाई पर खासा ध्यान दिया जानें लगा और ट्रेनें टाईम पर चलने लगी। हालांकि रेल व्यवस्थाओं को सुदृढ़ करने का काम मुसोलिनी के शासनकाल से पहले से चल रहा था लेकिन इनके समय में इस काम में और तेज़ी आई। 

इटली के सभी प्रकार के बैंको और कारोबारों पर सरकार का नियंत्रण होता था।

मुसोलिनी एक प्रकार के क्रेडिटजिवी भी थे, हर अच्छे काम का क्रेडिट खुद लेना चाहते थे। ये खुद को एक Intellectual की तरह प्रस्तुत करते थे और अपने हित साधने के लिए तरह–तरह के प्रोपोगेंडा करते थे।

विदेश नीति, सैन्य गठबंधन एवं युद्ध 

मुसोलिनी एक अवसरवादी नेता था, ये इटली को रोमन एंपायर के समय के इटली जैसा विशाल और गौरवशाली बनाने के वादे करता था। मुसोलिनी ब्रिटेन और फ्रांस के तरह ही साम्राज्य विस्तार करना चाहता था।

पहले तो ये सभी शक्तिशाली देशों के साथ समतुल्य व्यवहार रखना चाहता था और चाहता था की समय आने पर वह किसी ऐसे शक्तिशाली देश के साथ गठबंधन करेगा जिससे गठबंधन करने पर इसके औपनिवेशिक महत्वकांक्षाओं को फ़ायदा पहुंचे।

1926ई. में मुसोलिनी ने इटली की महिलाओं को आदेश दिया की वें अपनी ईक्षा से दोगुने बच्चे पैदा करे ताकि इटली की जनसंख्या जल्द–से–जल्द 40मिलियन से 60मिलियन हो जाए जिससे उसे युद्ध जीतने में आसानी हो।

जर्मनी के साथ अच्छे संबंध बनाने के उद्देश्य से मुसोलिनी ने जुलाई 1932ई. में जर्मनी के डिफेंस मिनिस्टर Kurt von Schleicher को anti-French Italo-German alliance बनाने के लिए एक संदेश भेजा जिसपर Schleicher ने सकारात्मक प्रतिक्रिया दी थी।

ब्रिटेन और फ्रांस के प्रति आक्रमकता 

ये अपने शुरुआती दिनों में फ्रांस और ब्रिटेन जैसे शक्तिशाली देशों से उलझने से बचना चाहता था लेकिन Corfu Incident(1923ई.) के बाद इसने एक समय के लिए अपनी नेवी की मदद से ब्रिटेन पर चढ़ाई करने का मन बना ही लिया, मगर बाद में जब इन्हें पता चला की इटालियन नेवी का रॉयल ब्रिटिश नेवी से कोई मेल ही नहीं है तो इसने युद्ध का विचार छोड़ दिया।

इटली और फ्रांस के रिश्ते अच्छे नहीं थे तथा भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए मुसोलिनी ने 1929ई. में अपने आर्मी जनरल को फ्रांस और युगोस्लाविया के खिलाफ़ रणनीति बनाने का आदेश दिया।

मुसोलिनी ने 1932ई. के अंत में फ्रांस और युगोस्लाविया पर सरप्राईज अटैक करने का प्लान बनाया और इसके लिए अगस्त 1933ई. चुना। लेकिन बाद में इन्हे पता चला की फ्रांस ने इटालियन मिलिट्री के सीक्रेट कोड्स को डिकोड कर लिया है और उन्हें सरप्राईज अटैक के बारे में भी पता चल गया है और अब फ्रांस जवाबी कार्रवाई के लिए भी तैयार हो गया है। इन बात की जानकारी मिलने के बाद मुसोलिनी ने फ्रांस पर अटैक करने के प्लान को कैंसिल कर दिया।

1935–36ई. में इसने इथियोपिया पर हमला किया और इथियोपिया को इटालियन ईस्ट अफ्रीका का हिस्सा बना दिया। इस हमले का उद्देश्य साम्राज्य विस्तार करना तथा अपनी छवि मजबूत करना था।

Degree Law 880

मुसोलिनी ने Degree Law 880 पारित कर नस्लों की मिलावट को एक दंडनीय अपराध घोषित कर दिया। ऐसा करने के पीछे इनका उद्देश्य इटालियन सेना को इथियोपियन औरतों के साथ सेक्स करने से रोकना था। क्योंकि मुसोलिनी को लगता था की अगर इटालियन सैनिक ऐसा करेगें तो वे एथियोपियन्स के साथ भावनात्मक रूप में जुड़ जाएंगे और फिर इन्हें उनपर गोली चलाना मुश्किल हो जाएगा।

 1938–39ई. की सर्दियों में इटली और फ्रांस युद्ध के मुहाने पर खड़े थे इसी दौरान ब्रिटिश प्रधानमंत्री Neville Chamberlain ने जनवरी 1939ई. में रोम का दौरा किया और एंग्लो–इटालियन रिलेशनशिप को मजबूत करने की कोशिश करी, लेकिन मुसोलिनी इस बात से आश्वस्त था की ब्रिटेन चाहे इटली के साथ कितने ही अच्छे संबंध क्यों न बना ले लेकिन वो इटली के लिए फ्रांस को छोड़ नहीं सकता। 

अप्रैल 1939ई. में मुसोलिनी ने अल्बानिया पर हमला किया और अल्बानिया को महज़ पांच दिनों में हरा दिया।

नाज़ी जर्मनी के साथ सैन्य गठबंधन

1930ई. के दशक में युद्धों व्यस्त रहने के कारण इटली की हालत खस्ता हो चुकी थी और अब इसके पास किसी भी बड़े स्तर के युद्ध में शामिल होने के लिए पर्याप्त संसाधन नही बचे थे। ऐसी स्थिति में हिटलर, यूरोप में एक बहुत बड़ा युद्ध छेड़ने की तैयारी कर रहा था जो कि इटली के लिए चिंता का विषय था।

Benito Mussolini और Adolf Hitler क्रूर तानाशाह

दरअसल 25 अक्टूबर 1936ई. को इटली ने जर्मनी के साथ Rome–Berlin Axis agreement साइन किया था और 22 मई 1939ई. को इन दोनों ने Pact of Steel Agreement भी साइन किया जिसके कारण फासिस्ट इटली और नाज़ी जर्मनी एक मज़बूत सैन्य गठबंधन में बंध गए थे। अब अगर जर्मनी युद्ध में कूदता तो मजबूरन इटली को भी उसके सहयोग के लिए युद्ध में कूदना पड़ता। 

1939ई. में मुसोलिनी ने इस एग्रीमेंट पर तभी साइन किया था जब हिटलर ने उसे वचन दिया की वो अगले तीन सालों तक कोई भी बड़ा युद्ध नहीं छेड़ेगा।

ग्रैंड काउंसिल ऑफ फासिज्म (Grand Council of Fascism)

Grand Council of Fascism या Fascist Grand Council मुसोलिनी के प्रशासन की एक मुख्य निकाय थी जिसे मुसोलिनी ने 15 दिसंबर 1922ई. को फासिस्ट पार्टी के एक अंग के तौर पर स्थापित किया था जो की 9 दिसंबर 1928ई. को प्रशासन की एक अंग बन गई।

इस काउंसिल के पास सभी सरकारी तथा गैर–सरकारी संस्थाओं को नियंत्रित करने की शक्तियां होती थी तथा यह काउंसिल राजा से मुसोलिनी को हटाने के लिए सिफारिश भी कर सकती थी। हालांकि यह काउंसिल मुसोलिनी के ही नियंत्रण में रहती थी और मुसोलिनी ही इस काउंसिल के एजेंडे को तैयार करता था। 

21 मार्च 1939ई. को Fascist Grand Council की बैठक हुई जिसमें Italo Balbo नामक व्यक्ति ने मुसोलिनी पर आरोप लगाया की वह "हिटलर के जूते चाट रहा है" और उसकी Pro-German Foreign Policy इटली को बर्बादी के मुहाने पर ले जा रहा है। Italo Balbo का यह भी कहना था की इटली का जर्मनी के साथ गठबंधन में रहना कोई जरूरी नहीं है, ब्रिटेन के दरवाजे अब भी इटली के लिए खुले ही हुए हैं।

Fascist Grand Council इटली में बहुत पॉवरफुल थी लेकिन जर्मनी में किसी सरकारी या गैरसरकारी तंत्र के पास इतनी हिम्मत ही नहीं थी की वें हिटलर के खिलाफ़ एक भी शब्द बोल सके।

Italo Balbo इटली के एयरफोर्स के मार्शल थे, द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में ये एक्सिस पॉवर की ओर से लड़ रहे थे लेकिन समय के साथ इनका रुझान एलाइड पॉवर की ओर जाने लगा। खबरों के अनुसार 1940ई. में Italian Anti-Aircraft Fire Unit ने भूलवश इनके प्लेन पर फायर कर दिया जिससे इनकी मृत्यु हो गई।

25 जुलाई 1943ई. को Grand Council of Fascism को भंग कर दिया गया।


World War–II में Mussolini की भूमिका 

World War–II में Italy की Entry

1 सितंबर 1939ई. के दिन हिटलर ने मित्र मुसोलिनी से किए अपने वादे को तोड़ दिया और USSR के साथ मिलकर पोलैंड पर हमला कर दिया। इस हमले से क्रोधित होकर फ्रांस और ब्रिटेन ने इसके दो दिनों बाद जर्मनी के खिलाफ़ युद्ध घोषित कर दिया और इस तरह से “द्वितीय विश्व युद्ध” शुरू हो गया। 

मुसोलिनी अपने देश की स्थिती से हिटलर को अवगत करा चुका था इसलिए ये शुरूआती दिनों में युद्ध में शामिल नहीं हुआ। इधर ब्रिटेन इटली को एलाइड पॉवर के पक्ष में लाने के लिए लगातार कोशिशें कर रहा था। 

हिटलर की सेना बहुत ही बजबूत थी और ये एक–एक यूरोप को जीतती जा रही थी। नाज़ी जर्मनी की मज़बूत स्थिति को देखते हुए मुसोलिनी ने भी युद्ध में कूदने का मन बनाया और 10 जून 1940ई. को एक्सिस पॉवर की ओर से युद्ध में शामिल हो गया। इस तरह से इटली की भी द्वितीय विश्व युद्ध में एंट्री हो जाती है।

द्वितीय विश्व युद्ध में दो खेमें थे

1. Allied Power जिसमें ब्रिटेन, फ्रांस, अमेरिका और सोवियत संघ (USSR) जैसे देश थे।

2. Axis Power जिसमें जर्मनी, इटली और जापान जैसे देश शामिल थे।

इटली ने जर्मनी के साथ मिलकर बैटल ऑफ फ्रांस लड़ा। अफ्रीका और मिडल ईस्ट में ब्रिटिश एंपायर को खतम करने के लिए वहां स्पेशल ऑपरेशन्स चलाए। इसने Egypt पर हमला किया, अमेरिका और USSR को भी चुनौती दी।

एक समय के लिए Axis Power, Allied Power के ऊपर इतनी हावी हो गई थी की Allied Power लगभग हार के कगार पर पहुंच गई थी। जर्मनी ने फ्रांस जैसे शक्तिशाली देश को आसानी से हरा दिया था और ब्रिटेन को छोड़कर लगभग पूरे यूरोप को जीत लिया था।

द्वितीय विश्व युद्ध में इटली की हार 

इसी बीच Axis Power ने कुछ गलतियां कर दी जिसके बाद युद्ध का रूख बदलने लगा। पहली गलती तो जर्मनी ने 22 जून 1941ई. को USSR के खिलाफ़ Opetation Barbarosa चालू करके किया जिसके बाद USSR भी Axis Power के खिलाफ़ हो गया और दूसरी गलती जापान ने 7 दिसंबर 1941ई. को पर्ल हार्बर पर अटैक करके किया जिसके बाद अमेरिका भी Axis Power के खिलाफ़ द्वितीय विश्व युद्ध में शामिल हो गया।

अब इटली तो सैन्य तौर पर ज्यादा मजबूत था नही और जापान उधर Pacific region में अमेरिका से युद्ध कर रहा था जिस वजह से यूरोप में नाज़ी जर्मनी को अकेले अपने दम पर चार से भी ज्यादा देशों की Allied Army से लड़ना पड़ रहा था। इन्ही सब वजहों से अब Axis Power कमज़ोर पड़ने लगा।

1943ई. आते–आते North Africa में Axis Power की हार हो गई और इसके बाद अब Allied Army ने इटली के अंदर हमला करना शुरू कर दिया, इटली के अंदर गोलियां चलने लगी, बम फटने लगे जिससे इटली में अफरातफरी मच गई। इटली में फैक्ट्रियां और कारखाने बंद होने लगीं, नौकरियां जानें लगी, खाद्य संकट मंडराने लगा और बेगुनाह लोग मरने लगे। 

इटली के इस स्थिति को देख अब जनता के मन में मुसोलिनी के प्रती आक्रोश पनपने लगा, विरोध की भावनाएं जागृत होने लगी और जनता मुसोलिनी को ही इन सब का दोषी मानने लगी। अब मुसोलिनी का प्रोपोगेंडा भी तंत्र भी जनता के इन भावनाओं को दबाने में विफल हो रहा था।

10 जुलाई 1943ई. को एलाइड आर्मी सिसली तक पहुंच गई, 19 जुलाई 1943ई. को मुसोलिनी हिटलर से मिलने गया और इसी दिन एलाइड आर्मी ने रोम पर बमबारी करना शुरू कर दिया। रोम के इतिहास में ऐसा पहली बार हो रहा था जब कोई दुश्मन देश उसपर बमबारी कर रहा था। अब इटली द्वितीय विश्व युद्ध में लगभग हार ही चुका था लेकिन इटली का प्रधानमंत्री बेनिटो मुसोलिनी हार मानने को तैयार ही नहीं था और ना ही कोई दूसरा विकल्प चुनना चाहता था  जिस वजह से लगातर इटली की बर्बादी हो रही थी।

अब इटली में स्थिति ऐसी हो गई थी कि मुसोलिनी की मंत्रीमंडल ही उसके खिलाफ़ होने लगी। इसी बीच Fascist Grand Council ने 24 जुलाई 1943ई. के दिन मुसोलिनी को Council के समक्ष उपस्थित होने के लिए कहा और यहां इनके खिलाफ़ No Confidence Motion लाया। लेकीन No Confidence Motion लाकर भी मुसोलिनी को हटाया नहीं जा सकता था क्योंकी उन्हें सिर्फ़ इटली के राजा ही हटा सकते थे। 

इसके अगले दिन इटली के राजा Victor Emmanuel III ने मुसोलिनी को अपने शाही महल में बुलाया और इन्हें इटली के प्रधानमंत्री पद से हटा दिया। इसके बाद राजा ने मार्शल Pietro Badoglio को नया प्रधानमंत्री नियुक्त किया और मुसोलिनी को बंदी बना लिया।

अब मुसोलिनी इटली के प्रधानमंत्री नहीं रहें थे और इनकी सारी शक्तियां क्षीण हो गई थी, इन्हे अब बंदी बनाकर गुप्त स्थान पर रखने की योजना बन रही थी ताकि नाज़ी जर्मनी की सेना इन तक न पहुंच सके। इसके बाद इन्हें गुप्त तरीके से Abruzzo के Campo Imperatore माउंटेन रिजॉर्ट में कैद किया गया।

Pietro Badoglio ने प्रधानमंत्री बनते ही दो दिनों के भीतर फासिस्ट पार्टी को भंग कर दिया। लेकिन इटली अब भी जर्मनी की तरफ से ही युद्ध लड़ रहा था, इसके बाद इटली और Allied Power के बीच बातचीत का एक दौर चला और 3 सितंबर 1943ई. के दिन इटली Allied Army के साथ युद्ध विराम के लिए राजी हो गया। 

मुसोलिनी का रेस्क्यू और Salò Republic की स्थापना 

युद्ध विराम की ख़बर मिलते ही पांच दिनों के भीतर जर्मन टुकड़ी सक्रिय हो गई और इटली से Allied Army को खदेड़ने के लिए रोम तक पहुंच गई। हिटलर की आर्मी इटली के राजा Victor Emmanuel III, राजकुमार Umberto और प्रधानमंत्री Pietro Badoglio को कैद करके इटली में पुनः मुसोलिनी की सरकार स्थापित करना चाहती थी।

 संभावित खतरे को भांपते हुए इटली के राजा और प्रधानमंत्री रोम छोड़कर Allied Army के संरक्षण में South Italy के Apulia चले गए। इसके बाद हिटलर की सेना ने Allied Army को South Italy की ओर धकेल दिया तथा North Italy पर कब्जा कर लिया।

 इसके बाद हिटलर की सेना ने Hotel Campo Imperatore में कैद मुसोलिनी को 12 सितंबर 1943ई. के दिन छुड़ा लिया। तीन दिन बाद जब हिटलर मुसोलिनी से मिला तो वो इसे देखकर शॉक्ड रह गया। मुसोलिनी में अब पहले जैसी बात नही दिख रही थी ऐसा लग रहा था मानो उसकी इच्छाशक्ति मर गई हो नहीं।

हिटलर ने मुसोलिनी को North Italy का शासक बनाया और North Italy को Salò Republic नाम दे दिया। Salò Republic की स्थापना के बाद अब फासिस्ट ग्रैंड काउंसिल के जिन–जिन नेताओं ने मुसोलिनी के खिलाफ़ बोला था उन सबका सफाई अभियान शुरू किया गया। 

इधर इटली के राजा और प्रधानमंत्री ने South Italy में अपनी सरकार बनाई और 13 अक्टूबर 1943ई. के दिन नाज़ी जर्मनी के खिलाफ़ वॉर घोषित कर दिया। 

लेकिन अब मुसोलिनी ने जिन–जिन क्षेत्रों को जीता था वो सब धीरे–धीरे करके इसके हाथ से जानें लगा। कुछ पर Allied Army कब्ज़ा कर रही थी तो कुछ पर नाज़ी जर्मनी अधिकार जमा रहा था। इन सब चीजों के कारण अब मुसोलिनी झल्लाने लगा था और अपने क्षेत्र को बचाने के लिए युद्ध करने की बाते करने लगा था। लेकिन असल में अब मुसोलिनी की सरकार हिटलर के संरक्षण में चल रही थी मुसोलिनी तो नाममात्र का ही रह गया था।

मुसोलिनी को जर्मन SS Force ने हाउस अरेस्ट भी किया था और इस दौरान इनके बाहरी दुनिया से संपर्क के साधनों को भी तोड़ दिया गया था। इस दौरान मुसोलिनी ने एक बार कहा था कि ऐसे ओहदे से तो Concentration Camp ही बेहतर है।


मुसोलिनी का अंतिम समय

1945ई. आते–आते मुसोलिनी असहाय हो गया था और उसकी सारी आशाएं टूट चुकी थी, वह कमज़ोर महसूस कर रहा था। मुसोलिनी कहता था की सात साल पहले वह एक दिलचस्प इंसान हुआ करता था लेकिन अब वह एक लाश से थोड़ा ही ज्यादा है।

अप्रैल 1945ई. में युद्ध अपने निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया था, Allied Army Salò Republic में घुस चुकी थी जिस वजह से 25 अप्रैल 1945ई. को मुसोलिनी ने इटली से स्विट्जरलैंड होते हुए स्पेन भागने का प्लान बनाया और जर्मन आर्मी के ट्रक में छुपकर चलने लगे। लेकिन दो दिनों बाद ही 27 अप्रैल 1945ई. के दिन इन्हें इनकी गर्लफ्रेंड Clara Petacci के साथ Como Lake के पास Dongo नामक गांव में कम्युनिस्टों ने रोक लिया। इन्हे Valerio और Bellini ने रोका था तथा Garibaldi Brigade के Urbano Lazzaro ने इनकी पहचाना की थी। 

पकड़ने के बाद इन्हें अरेस्ट कर लिया गया और अगले दिन 28अप्रैल 1945ई. को इन्हे Giulino di Mezzegra नामक छोटे से गांव में इनकी गर्लफ्रेंड और सहयोगियों के साथ गोली मार दी गई।

 जिस व्यक्ति ने इन्हे गोली मारी उसका वास्तविक पहचान किसी को पता नही है लेकिन कुछ लोग Walter Audisio नामक व्यक्ति का नाम लेते हैं। 

इसके अगले दिन 29 अप्रैल 1945ई. की सुबह मुसोलिनी, इनकी प्रेमिका क्लारा और बाकी लोगों के शवों को वैन में भरकर मिलान शहर लाया गया और सुबह के तीन बजे Fifteen Martyrs' Square के पास फेंक दिया गया।

इसके बाद लाशों के साथ अत्याचार शुरू हुआ, लोगो ने मुसोलिनी के शव के साथ जघन्य अमानवीय कृत्य किया गया, इस पर थूका, पत्थर मारा, चप्पल से मारा, मर जाने के बावजूद लाश पर और खोपड़ी पर गोलियां चलाई। एक औरत ने सबके सामने मुसोलिनी के मुंह में पेशाब कर दिया, और ही न जाने क्या क्या, जो भी आता था अपनी भड़ास निकाल कर चला जाता था।

फिर लोगों ने इनके पैरों को रस्सी से बांधकर ऊंचे स्थान पर उल्टा लटका दिया ताकि हजारों लोग की भीड़ इनकी लाशों को देख सके। लेकिन ऐसा करने के कारण मुसोलिनी की प्रेमिका का स्कर्ट उनके घुटने से गिरकर उनकी मुंह की ओर आ गया और इस समय उसने स्कर्ट के नीचे कुछ नहीं पहना था। लोग नजारे देखते रहें, तभी उनके बीच से एक व्यक्ति सामने आता है और उनकी स्कर्ट को उनके घुटनों से बांधता है। 

इनकी लाशों के साथ इस तरह का दुर्व्यवहार कई घंटो तक चलता रहता फिर शाम होते–होते एलाइड आर्मी आती है और इनके लाशों को नीचे उतारकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाती है।

उस दिन एक कट्टर फासिस्ट व्यक्ति ने अपनी स्वामिभक्ति दिखाते हुए मुसोलिनी के लाश को फासिस्ट सैल्यूट दिया था जिस वजह से उसे ऑन द स्पॉट गोली मार दिया गया।

पोस्टमार्टम के बाद इनकी लाशों को दफना दिया जाता है और इस तरह से इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी का अंत हो जाता है। लेकिन इनकी लाशों के साथ हुई बर्बरता इतनी जघन्य थी की लोग कहते है की इसी के डर से हिटलर ने अपने लाश को जला देने का ऑर्डर दिया।


बेनिटो मुसोलिनी का निजी जीवन 

मुसोलिनी को इटालियन के अलावा इंग्लिश, फ्रेंच और जर्मन भाषा भी आता था और इन्होंने कहानियां तथा नॉवेल भी लिखीं हैं।

इनकी पहली बीवी Ida Dalser थी जिससे इन्होंने साल 1914ई. में शादी की थी। इन दोनों का एक बेटा था जिसका नाम Benito Albino Mussolini था। बाद में मुसोलिनी ने इन दोनों को बहुत प्रताड़ित किया। 

दिसंबर 1915ई. में मुसोलिनी ने Rachele Guidi से शादी किया जिनसे ये साल 1910ई. से संबंध में थे। इनसे इनकी दो बेटियां Edda और Anna Mari हुई और तीन बेटे Vittorio, Romano और Bruno हुए। 1941ई. में एक एयर एक्सीडेंट में Bruno की मृत्यु हो गई। 

मुसोलिनी का कई लड़कियो के साथ संबंध था, Margherita Sarfatti नामक पत्रकार के साथ भी इनका संबंध रहा, Clara Petacci इनकी आखिरी प्रेमिका थी।

अपनी पहली बीवी Ida Dalser और बड़े बेटे Benito Albino Mussolini को ये नापसंद करते थे। मुसोलिनी ने अपने बड़े बेटे Benito Albino Mussolini से अपने और उसके बीच के रिश्ते को छुपा के रखने के लिए कहा था। 

1935ई. में Benito Albino Mussolini को जबरदस्ती मिलान शहर के एक asylum मे रखा गया था और यहां इन्हें कोमा में चले जाने वाले इंजेक्शन का ओवरडोज दिया गया जिस वजह से 26 अगस्त 1941ई. को इनकी मृत्यु हो गई।

नोट: उक्त लेख में प्रस्तुत तथ्य हमारी वास्तविक जानकारी के अनुसार से सही एवं सत्य है फिर भी तथ्यों के पूर्णतः सत्यता की पुष्टी हम नहीं करते हैं। अगर आपके मन में कोई सलाह या सुझाव हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।

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