16 जुलाई 1945ई. को हुए "The Trinity Test" के साथ ही दुनिया परमाणु युग में प्रवेश कर गया और साल 1948ई. में "Atomic Energy Commission" की स्थापना के बाद भारत भी परमाणु युग में प्रवेश कर गया। महान परमाणु वैज्ञानिक और "Father of Indian Nuclear Program" डॉ. होमी जहांगीर भाभा परमाणु की असीम शक्ति से वाकीफ थे और वे भारत को "परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र" बनाना चाहते थे।
इसके लिए इन्होंने 1944ई. से प्रयास शुरू कर दिया और नेहरु जी को इस क्षेत्र में काम करने के लिए मना लिया, परिणामस्वरूप साल 1948ई. में Atomic Energy Commission of India की स्थापना हुई और होमी जहांगीर भाभा इसके पहले चेयरमैन बने।
इसी के साथ ही "Indian Nuclear Program" शुरू हो गया और दशकों तक चले संघर्ष और सतत विकास की प्रक्रिया के बाद 1998ई. में हुए "ऑपरेशन शक्ति" के साथ ही भारत Nuclear Power State बन गया।
तो चलिए सतत विकास और संघर्ष के इस क्रम को सूचीबद्ध तरीके से समझते हैं
परमाणु शक्ति क्या है? What is Nuclear Power?
परमाणु उर्जा (Nuclear Energy) से प्राप्त शक्ति को परमाणु शक्ति (Nuclear Power) कहते हैं, परमाणु में अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा होती है जिसे Nuclear Fission या Nuclear Fusion की तकनीक से extract किया जाता हैं।
Controlled Nuclear Chain Reaction की तकनीक से इसे सिविलियन उपयोग में लाया जाता है (उदा. Nuclear Power Plant) और Uncontrolled Nuclear Chain Reaction की तकनीक से इसे विध्वंशकारी उपयोग में लाया जाता है (उदा. Atomic Bomb)।
जो देश इन तकनीकों से संपन्न होते है उन्हें "परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र कहते हैं।" इन तकनीकों के उपयोग से मात्र पांच से दस किलोग्राम यूरेनियम का इस्तेमाल करके हजारों टन कोयले के बराबर ऊर्जा निकाली जा सकती है।
Atomic Energy Commission of India
होमी जहांगीर भाभा परमाणु की असीम शक्ति से वाकीफ थे और ये भारत को "परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र" बनाना चाहते थे। इसके लिए इन्होंने 1944ई. से प्रयास शुरू कर दिया और नेहरु जी को इस क्षेत्र में काम करने के लिए मना लिया, परिणामस्वरूप 3 अगस्त 1948ई. को Department of Scientific Research के अंतर्गत The Indian Atomic Energy Commission की स्थापना हुई।
लेकिन 1 मार्च 1954ई. को रेजोल्यूशन लाकर इस कमिशन को Atomic Energy Commission of India से रिप्लेस कर दिया गया और अब यह कमिशन Department of Atomic Energy के अंतर्गत आ गया जो की सीधे प्राइम मिनिस्टर के अधीन आता है।
BARC की स्थापना
भाभा जब विदेश से वापस आए तो उन्होंने पाया की भारत में रिसर्च के लिए कोई उच्च स्तरीय संस्थान नहीं है, जिस वजह से इन्होंने अप्रैल 1944ई. में फंडामेंटल फिजिक्स के क्षेत्र में रिसर्च इंस्टीट्यूट खोलने के लिए टाटा ट्रस्ट को पत्र लिखा। JRD TATA ने भाभा के प्रस्ताव को स्वीकारा और इस तरह से 1945ई. में Tata Institute of Fundamental Research(TIFR) अस्तित्व में आया।
लेकिन तब एटॉमिक रिसर्च के लिए यह इंस्टिट्यूट काफ़ी नहीं था, इसलिए इन्होंने एक सर्व सुविधायुक्त लेबोरेटरी के लिए सरकार से सिफ़ारिश की।
सरकार ने इनकी सिफ़ारिश को स्वीकारा और इस तरह से 3 जनवरी 1954ई. में Atomic Energy Establishment Trombay (AEET) अस्तित्व में आया। होमी जहांगीर भाभा जी के मरणोपरांत 22 जनवरी 1967ई. के दिन इस संस्था के नाम को परिवर्तित कर Bhabha Atomic Research Centre (BARC) कर दिया गया जिसे आज हम BARC के नाम से जानते हैं।
भारत का Nuclear Reactor और Nuclear Power Plant
Nuclear Fuel क्या है?
न्यूक्लियर रिएक्टर, न्यूक्लियर पॉवर प्लांट और परमाणु बम में इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन को न्यूक्लियर फ्यूल कहते हैं, और यूरेनियम-235(U-235), प्लूटोनियम-239(Pu-239) तथा थोरियम-233(Th-233 जैसे Radioactive Element न्यूक्लियर फ्यूल के उदाहरण हैं।☢️
Nuclear Reactor क्या है?
न्यूक्लियर रिएक्टर न्यूक्लियर पावर प्लांट का धड़कन है, अगर न्यूक्लियर रिएक्टर बंद हो जाएगा तो पूरा न्यूक्लियर पावर प्लांट बंद हो जाएगा।
किसी Radioactive Element(उदा.- यूरेनियम235) की ऊर्जा को Nuclear Fission की प्रक्रिया से बाहर निकाला जा सकता है, लेकिन इस ऊर्जा को Sustainable तरीके से निकालने के लिए Nuclear Chain Reaction कराना पड़ता है।
Nuclear Chain Reaction भी दो प्रकार के होते हैं –
1. Controlled Nuclear Chain Reaction
2. Uncontrolled Nuclear Chain Reaction
Uncontrolled Nuclear Chain Reaction में Reaction की दर बहुत ही तेज़ और ज्यादा होती है जिस वजह से परमाणुओं की अपार ऊर्जा Fraction of Seconds में ही निकल जाती है, इसी प्रॉपर्टी का उपयोग परमाणु बम में होता है।
लेकिन अगर किसी तरह से Nuclear Chain Reaction की दर को धीमा कर दिया जाए तो परमाणुओं की अपार ऊर्जा धीरे–धीरे करके लंबे समय तक निकलेगी।
Nuclear Reactor यही काम करता है, न्यूक्लियर रिएक्टर के अंदर Controlled Nuclear Chain Reaction होता है और हमे लंबे समय तक ऊर्जा मिलती रहती है।
भारत के पहले न्यूक्लियर रिएक्टर का नाम अप्सरा(Apsara) है जो की 4 अगस्त 1956ई. को बनकर तैयार हुआ था।
यह एक रिसर्च रिएक्टर था जो की भारत के साथ ही पूरे एशिया का पहला रिएक्टर था। इसे 20 जनवरी 1957ई. के दिन प्रधानमंत्री नेहरू ने उद्घाटन किया था।
Nuclear Power Plant क्या है?
न्यूक्लियर पावर प्लांट एक ऐसी संरचना है जो परमाणु की शक्ति से बिजली बनाती है।
न्यूक्लियर पावर प्लांट में न्यूक्लियर रिएक्टर से निकली ऊष्मा(Heat) का उपयोग करके पानी को भाप(Steam) बनाया जाता है और इस भाप से टर्बाइन घुमाकर विद्युत उत्पादन किया जाता है।
तारापुर एटॉमिक पॉवर प्लांट (TAPS–1) भारत का पहला न्यूक्लियर पॉवर प्लांट है, जो की महाराष्ट्र के तारापुर में स्थित है, यह पॉवर प्लांट 1969ई. में बनकर तैयार हुआ था।
2021 की एक रिपोर्ट के अनुसार देश के कुल 7 पॉवर प्लांट्स में 22 न्यूक्लियर रिएक्टर क्रियाशील है जिससे लगभग 6780 मेगावॉट Electricity उत्पन्न होती है।
परमाणु ऊर्जा देश का पांचवा बड़ा ऊर्जा स्रोत है।
India's Three Stage Nuclear Power Program
भारत में यूरेनियम न के बराबर मिलता है लेकिन यहां थोरियम का बहुत बड़ा भंडार है, भारत में –
• सिर्फ 1–2% ग्लोबल यूरेनियम रिज़र्व है।
• जबकि 25% ग्लोबल थोरियम रिज़र्व है।
अगर हम थोरियम का इस्तेमाल करना शुरु कर दें तो आज से सौ दो सौ सालों तक हमें ऊर्जा की समस्या नहीं होगी।
लेकिन थोरियम से ऊर्जा बनाना यूरेनियम से ऊर्जा बनाने जितना आसान नहीं है, और इसी को आसान बनाने के लिए होमी जहांगीर भाभा ने देश के सामने India's Three Stage Nuclear Power Program का सिद्धांत रखा।
इस सिद्धांत के अनुसार 1st Generation के न्यूक्लियर पावर प्लांट्स Natural Uranium पर Based होंगे और 1st Generation के पॉवर प्लांट से by-product के तौर पर जो प्लूटोनियम बनेंगे उनका इस्तेमाल 2nd Generation के पॉवर प्लांट्स में किया जाएगा।
सेकंड जनरेशन के पॉवर प्लांट्स प्लूटोनियम के mixed oxide पर आधारित होंगे और यहां थोरियम, U–233 में कन्वर्ट होगा।
Third Generation के पॉवर प्लांट्स ब्रीडर पॉवर स्टेशन्स होंगे जहां पर फ्यूल के तौर पर Thorium-232-Uranium-233 का उपयोग किया जाएगा।
इस तरह से भारत के थोरियम भण्डार से ऊर्जा बनाया जाएगा, यही भारत का "Three Stage Nuclear Power Program" है।
होमी जहांगीर भाभा ने 1950ई. के दशक में इस कॉन्सेप्ट को तैयार किया था, नवंबर 1954ई. में इसे देश के समक्ष प्रस्तुत किया और 1958ई. में भारत सरकार ने इस प्रोग्राम को एडॉप्ट कर लिया। देश अभी इसी सिद्धांत पर काम कर रहा है।
भारत के लिए संभावित परमाणु खतरे
1960ई. तक चार शक्तिशाली देशों के पास न्यूक्लियर बम आ चुका था और 1962ई. के इंडो–चाइना वॉर के बाद 1964ई. में चीन के पास भी परमाणु हथियार आ गया। अब दुनिया में परमाणु हथियार रखने वाले देशों की संख्या पांच हो चुकी थी –
1. अमेरिका (1945ई.)
2. सोवियत संघ रूस (1949ई.)
3. ग्रेट ब्रिटेन (1952ई.)
4. फ्रांस (1960ई.)
5. चीन (1964ई.)
इन सबमें भारत के सबसे नजदीक चीन है और चीन से हमारी दुश्मनी है, अगर किसी दिन युद्ध हो जाए तो हो सकता है चीन हम पर परमाणु हमला कर दे, यह भारत के लिए एक चिंता का विषय है।
27 मई 1964ई. को प्रधानमंत्री नेहरू जी की मृत्यु हो गई जिसके बाद लाल बहादुर शास्त्री जी देश के नए प्रधानमंत्री बने। इन्होंने भारत की सुरक्षा के लिए Nuclear Umbrella खोजना शुरू किया लेकिन अमेरिका और सोवियत संघ जैसे बड़े देशों ने भारत को न्यूक्लियर अंब्रेला देने से मना कर दिया। जिस वजह से लाल बहादुर शास्त्री जी परमाणु हथियार विकसित करने के बारे में सोंच रहे थे।
इधर होमी जहांगीर भाभा 1962ई. के भारत–चीन युद्ध और चीन के परमाणु परीक्षण के बाद परमाणु हथियार बनाने के लिए बेहद ही एग्रेसिव हो गए थे, ये खुले आम बयान देने लगे थे की अगर सरकार इन्हें अनुमति दे तो ये महज़ 18 महीने के अंदर ही परमाणु हथियार बनाकर कर देश को समर्पित कर देंगे।
पाकिस्तान के साथ हमारी दुश्मनी है, 1965ई. के भारत–पाकिस्तान युद्ध की समाप्ति के बाद 10 जनवरी 1966ई. के दिन शास्त्री जी शांति समझौते के लिए को ताशकेंत गए हुए थे (ताशकेंत उस समय सोवियत संघ का हिस्सा हुआ करता था)।
10 जनवरी को इन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया और रात को सोने चले गए, लेकिन उसी रात 11 जनवरी 1966ई. को इनकी रहस्यमयी ढंग से मृत्यु हो गई।
इनकी मृत्यु के ठीक के तेरह दिन बाद 24 जनवरी 1966ई. के दिन जब होमी जहांगीर भाभा IAEA के मीटिंग में शामिल होने के लिये ये Austria की राजधानी Vienna जा रहे थे, तभी Mont Blanc Alp के पास इनका प्लेन क्रैश हो गया और इनकी मृत्यु हो गई।
इन दोनों महान शख्शियतों की मृत्यु की जो वजहें बताई जाती है वह विवादास्पद है, एक बात यह भी चलती है की "इनकी मौत के पीछे अमेरिका का हाथ है"।
दरअसल 1993ई. में Gregory Douglas नामक एक पत्रकार ने Robert Crowley नामक एक ex. CIA ऑफिसर का इंटरव्यू लिया था जिसमें Robert Crowley ने खुलासा किया की "लाल बहादुर शास्त्री और होमी जहांगीर भाभा के मृत्यु के पीछे अमेरिका के CIA का ही हाथ है"।
दरअसल अमेरिका नहीं चाहता था कि भारत कभी परमाणु शक्ति बने, इसलिए इसने CIA की मदद से भारत के प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री और परमाणु वैज्ञानिक होमी जहांगीर भाभा की हत्या कर दी।
नोट : ये Ex. CIA Officer Robert Crowley का बयान है।
पोखरण–I : Operation Smiling Buddha
भारत ने 18 मई 1974ई. को आर्मी के पोखरण टेस्ट रेंज(PTR) में अपना पहला परमाणु परीक्षण किया जिसे "ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा" या "पोखरण–I" के नाम से जानते हैं।
इंदिरा गांधी के नेतृत्व में सरकार और आर्मी के द्वारा किए गए इस ऑपरेशन को गुप्त तरीके से अंजाम दिया था। इस सफल परमाणु परीक्षण के बाद भारत सिक्योरिटी काउंसिल के पांच पर्मानेंट मेंबर्स के बाद ऐसा छठवां देश बना जिसने सफलता पूर्वक परमाणु परीक्षण किया।
आपरेशन स्माइलिंग बुद्धा की मूलभूत जानकारी
देश – भारत
टेस्ट साइट – पोखरण टेस्ट रेंज (PTR) राजस्थान
समय – 18 मई 1974, पूर्वाहन 8:05 A.M. (IST)
परीक्षण की संख्या – 1
परीक्षण का प्रकार – अंडरग्राउंड शाफ्ट
डिवाइस का प्रकार – Fission Device
ब्लास्ट यील्ड – 8–10KT
यह एक अंडरग्राउंड टेस्ट था जिसमें बम को रेगिस्तान में 107 मीटर नीचे L शेप के शाफ्ट में रखा गया था।
परीक्षण की स्वीकृति तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दी थी और इस पूरे "प्रोजेक्ट के हेड BARC के डॉयरेक्टर राजा रमन्ना थे"।
परीक्षण में लाए गए बम को डिज़ाइन करने वाले और बम का निर्माण करने वाले P.K. Iyengar थे, ये इस पूरे प्रोजेक्ट के "सेकेंड इन कमांड" थे।
इनके अलावा इस पूरे प्रोजेक्ट में आर. चिदंबरम, नागपट्टिनम संबासिवा वेंकटेसन, वामन दत्तात्रेय पटवर्धन, होमी सेठना आदि का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा।
इस परीक्षण के दौरान DRDO के प्रतिनिधि के तौर पर A.P.J. अब्दुल कलाम जी भी परीक्षण स्थल पर आए थे।
परीक्षण के बाद भारत को दुनिया का क्रिटिसिज्म और सेंक्शंस झेलना पड़ा, इसपर भारत ने अपना स्टैंड रखा और इस परीक्षण को एक "Peaceful Nuclear Explosion" बताया।
Peaceful इसलिए क्योंकी इस टेस्ट का मकसद परमाणु हथियार बनाकर किसी दूसरे देश को डराना नहीं था, बल्कि दुनिया को भारत की क्षमता से रूबरू कराना था और यह संदेश देना था की जरूरत पड़ने पर हम परमाणु हथियार बना सकते हैं।
Nuclear Technology Control Regime & Multilateral Export Control Regime
परमाणु तकनीकों के प्रसार को रोकने और दूसरे देशों को परमाणु हथियार बनाने के लिए हतोत्साहित करने के उद्देश्य से कई कदम उठाए गए जो कि निम्न है–
(I) International Atomic Energy Agency (IAEA)
(II) Nuclear Non–Proliferation Treaty (NPT)
(III) Nuclear Supplier Group (NSG)
(IV) Australia Group (AG)
(V) Missile Technology Control Regime (MTCR)
(VI) Comprehensive Nuclear Test–Ban Treaty (CTBT)
(VII) Wassenaar Arrangment (WA)
International Atomic Energy Agency (IAEA)
इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी या IAEA की स्थापना 29 जुलाई 1957ई. को हुई है। यह एक ऐसी संस्था है जो परमाणु ऊर्जा के सिविलियन उपयोग को बढ़ावा देती है और इसके मिलिट्री यूज का विरोध को करती है।
यह संस्था, सदस्य देश के परमाणु ईंधन उपयोगिता पर पैनी नज़र बनाए रखती है और असामान्य हरकत होने पर उचित कार्यवाही करती है।
इस संस्था का मुख्यालय ऑस्ट्रिया की राजधानी विएना में है और भारत इसका एक सदस्य हैं।
Nuclear Non–Proliferation Treaty (NPT)
परमाणु अप्रसार संधि या NPT एक ऐसी अंतर्राष्ट्रीय संधी है जिसे परमाणु तकनीकों और परमाणु हथियारों के प्रसार को रोकने के उद्देश्य से 1968ई. में लाया गया था।
यह संधी कहती है कि जो देश 1 जनवरी 1968ई. से पहले परमाणु परीक्षण कर चुके हैं, सिर्फ़ उन्हें ही न्यूक्लियर पॉवर स्टेट माना जाएगा और जो देश इसके बाद परमाणु परीक्षण करेगा उसे न्यूक्लियर पॉवर स्टेट नहीं माना जाएगा और उसे ऐसा करने से रोका जाएगा।
इस संधी के अनुसार
(1) अमेरिका (1945);
(2) सोवियत संघ रूस (1949);
(3) ब्रिटेन (1952);
(4) फ्रांस (1960);
(5) चीन (1964);
ये पांच देश ही न्यूक्लीयर पॉवर स्टेट हैं क्योंकि इन्होंने 1 जनवरी 1968ई. से पहले परमाणु परीक्षण कर लिया है।
भारत ने इस संधी पर हस्ताक्षर करने से मना कर दिया क्योंकि इसके अनुसार यह संधी भेदभाव करती है। एक तरफ तो यह परमाणु तकनीकों के प्रसार को रोकने की बात करती है और अन्य देशों को परमाणु हथियार बनाने से रोकती है, वहीं दूसरी तरफ बाकी के पांच देशों को परमाणु हथियार रखने की पूर्णतः छूट देती है।
भारत आने वाले कुछ सालों में परमाणु परीक्षण करने वाला था(ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा) और यह संधी उसे ऐसा करने से रोक सकती थी जिस वजह से भारत ने इस संधी पर हस्ताक्षर नहीं किया।
भारत के साथ ही इजराइल, पाकिस्तान, और साउथ सूडान ऐसे देश हैं जिन्होंने इस संधी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
Nuclear Supplier Group (NSG)
न्यूक्लियर सप्लायर ग्रुप या NSG 1974ई. में बनी एक ऐसी संगठन है जो परमाणु तकनीकों, पदार्थों और उपकरणों के आदान–प्रदान पर नियंत्रण रखती है।
NPT पर हस्ताक्षर कर चुके देश इस संगठन के सदस्य हैं और इस संगठन के सदस्य देशों को सिविलियन उपयोग के लिए आसानी से न्यूक्लियर मटेरियल्स मिल जाता है।
अब क्योंकि भारत ने NPT पर हस्ताक्षर नहीं किया है इस वजह से भारत को NSG की सदस्यता नहीं मिली है और भारत को न्यूक्लियर मटेरियल्स के लिए बाई–लेटरल संधियों का सहारा लेना पड़ता है। लेकिन अपने Responsible Nuclear Power State वाली छवि के कारण साल 2008ई. में इसे NSG का One Time Waiver मिला था।
Australia Group (AG)
ऑस्ट्रेलिया ग्रुप 1985ई. में बनी एक अनौपचारिक Multilateral Export Control Regime है जिसका उद्देश्य केमिकल और बायोलॉजिकल हथियारों के प्रसार पर नियंत्रण करना है।
भारत इस संगठन का सदस्य है लेकिन चीन और पाकिस्तान इसके सदस्य नहीं है। भारत कहता है की अगर उसपर कोई इस तरह का हमला करेगा तो वो उसका जवाब न्यूक्लियर से देगा।
Missile Technology Control Regime (MTCR)
Missile Technology Control Regime मिसाइल तकनीक से संपन्न देशों की एक अनौपचारिक संगठन है जो मिसाइल तकनीक के प्रसार को रोकने के लिए नियम बनाती है।
इस समूह की स्थापना अप्रैल 1987ई. मे हुई और 2016ई. में भारत इसका सदस्य बना।
Comprehensive Nuclear Test–Ban Treaty (CTBT)
Comprehensive Nuclear Test–Ban Treaty 1996ई. में आई एक ऐसी बहुपक्षीय संधी है जो सभी प्रकार के पर्यावरणीय परिस्थितियों में सभी प्रकार के परमाणु परीक्षणों पर प्रतिबंध लगाती है, चाहे वह मिलिट्री यूज के लिए हो या पीसफुल यूज के लिए हो।
अर्थात इस संधी पर हस्ताक्षर करने के बाद सदस्य देश परमाणु परीक्षण नहीं कर सकता हैं। भारत ने इस संधी पर हस्ताक्षर नहीं किया है।
Wassenaar Arrangment
Wassenaar Arrangment जुलाई 1996ई. में स्थापित एक ऐसी संस्था है जो सदस्य देशों के साथ Conventional Weapons और Dual-use goods के ट्रांसफर की जानकारी साझा करती है।
भारत इसका सदस्य है लेकिन चीन और पाकिस्तान इसके सदस्य नहीं हैं।
• Multilateral Export Control Regime
Multilateral Export Control Regime गैर–बाध्यकारी समझौतों का एक समूह है जो वेपन तकनीक को फैलने से रोकती है।
• Nuclear Supplier Group(NSG)
• Australia Group (AG)
• Missile Technology Control Regime (MTCR)
• Wassenaar Arrangment (WA)
ये चारों Multilateral Export Control Regime हैं।
Operation Kahuta : आपरेशन कहुटा
1965ई. के भारत–पाकिस्तान युद्ध के दौरान पाकिस्तान के तत्कालीन फॉरेन मिनीस्टर जुल्फिकार अली भुट्टो ने कहा था की "अगर भारत परमाणु बम बना लेता है तो हम भले ही घास और पत्तियां खाएंगे, भले ही हम भूखे रह लेंगे, लेकिन हम अपने लिए परमाणु बम बनाएंगे। इसके सिवा हमारे पास और कोई चारा नहीं है।"
"If India builds the bomb, we will eat grass or leaves, even go hungry, but we will get one of our own. We have no other choice." – जुल्फिकार अली भुट्टो
इस बयान के कुछ सालों बाद 1974ई. में भारत ने "ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा" नाम से अपना पहला परमाणु परीक्षण किया। इस परीक्षण के रिस्पॉन्स में जुल्फिकार अली भुट्टो ने उसी साल "प्रोजेक्ट 706" जिसे "प्रोजेक्ट 786" भी कहते हैं, शुरू किया। तब ये पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बन चुके थे।
प्रोजेक्ट 706 या प्रोजेक्ट 786 पाकिस्तान के Nuclear Research & Development Program का कोडनेम था जिसका उद्देश्य पाकिस्तान के लिए परमाणु बम डेवलप करना था।
इस पूरे प्रोजेक्ट को खुफिया तरीके से अंजाम दिया जाना था और इसके लिए पाकिस्तान के कहुटा स्थित रिसर्च सेंटर को चुना गया था। यहां सीक्रेट तरीके से न्यूक्लियर वेपन डेवलपमेंट का काम चल रहा था।
"पाकिस्तान के इसी प्रोजेक्ट को रोकने के लिए भारत की खुफिया एजेंसी RAW ने 1977ई. में ऑपरेशन कहुटा शुरू किया था।" यह ऑपरेशन Raw के डायरेक्टर R.N. Kao के नेतृत्व में चल रहा था और इन्होंने पूरे पाकिस्तान में RAW के एजेंट्स को फैला रखे थे।
रॉ के इन जासूसों को इंटेलिजेंस से ख़बर मिली थी की कहुटा स्थित इस रिसर्च सेंटर में प्रोजेक्ट 706 नाम से न्यूक्लियर वेपन डेवलपमेंट प्रोग्राम चल रहा है। इस बात की पुष्टी के लिए रॉ ने वहां काम कर रहे वैज्ञानिकों के बाल के सैंपल को नाई की दुकान से चुराया और लैब में इनका विश्लेषण किया। रॉ के जासूसों ने इन बालों पर रेडिएशन पाया और इसके साथ ही पाकिस्तान के न्यूक्लियर वेपन डेवलपमेंट प्रोग्राम की पुष्टी हो गई।
रॉ, पाकिस्तान के कहुटा में चल रहे इस न्यूक्लियर वेपन डेवलपमेंट प्रोग्राम को ध्वस्त करना चाहता था।
रॉ को किसी व्यक्ति से कहुटा रिसर्च सेंटर का ब्लू प्रिंट मिलने वाला था और वह व्यक्ति इसके लिए दस लाख डॉलर मांग रहा था। R.N. Kao ने इस बात की जानकारी भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई को दी जिसपर मोरारजी देसाई ने पैसा देने से मना कर दिया और साथ ही में R.N. Kao को हिदायत दिया की वो पाकिस्तान के अंदरूनी मामलों में दख़ल न दें।
मोरारजी देसाई का पाकिस्तान के राष्ट्रपति जिया उल हक़ के साथ दोस्ताना रवैया था। एक दिन इन्होंने बातों-ही-बातों में जिया उल हक़ को हिंट दे दिया की इन्हें उनके प्रोजेक्ट 706 के बारे में पता है। इस बात की जानकारी होते ही जिया उल हक़ ने पाकिस्तान में फैले रॉ के पूरे नेटवर्क को ISI की मदद से खतम कर दिया और इस तरह ऑपरेशन कहुटा असफल हो गया।
ऑपरेशन कहुटा के असफल होने के बाद R.N. Kao ने रॉ से इस्तीफा दे दिया।
रॉ को इस ऑपरेशन में मोसाद का साथ मिल रहा था। मोसाद 1981ई. में कहुटा प्लांट को बम से उड़ा देना चाहता था लेकिन CIA बीच में आ गया।
पोखरण-II : Operation Shakti
"ऑपरेशन शक्ति" अटल बिहारी वाजपेई जी की अगुवाई में भारत सरकार और भारतीय सेना द्वारा मई 1998ई. में आर्मी के पोखरण टेस्ट रेंज में गुप्त तरीके से किए गए पांच परमाणु बमों का परीक्षण है, जिसे "पोखरण-II" के नाम से भी जाना जाता है।
इनसे पहले पी. वी. नरसिम्हा राव जी की सरकार ने साल 1995ई. में परमाणु परीक्षण की कोशिश करी थी लेकिन अमेरिका को इसकी जानकारी हो गई और इस परीक्षण को निरस्त करना पड़ा।
इस घटना के बाद अमेरिका पोखरण टेस्ट रेंज के ऊपर स्पाई सैटेलाइट घुमाने लगा जिस वजह से ऑपरेशन शक्ति को अंजाम देना एक बेहद ही मुुश्किल टास्क हो गया था। इधर जमीन पर CIA और ISI के जासूस नजर बनाए रखे थे। तमाम मुश्किलों के बावजूद बड़ी ही चालाकी के साथ भारत ने इस ऑपरेशन को सफ़लता पूर्वक अंजाम दिया।
ऑपरेशन शक्ति की मूलभूत जानकारी
• देश – भारत
• परीक्षण स्थल – पोखरण टेस्ट रेंज (PTR), राजस्थान
• परीक्षण की तिथि – 11 से 13 मई 1998ई.
• परीक्षणों की संख्या – तीन परीक्षण में पांच डिवाइस डेटोनेट किया गया ( 4 न्यूक्लियर, 1 थर्मोन्यूक्लियर)
• परीक्षण का प्रकार – भूमिगत परीक्षण (L शेप्ड अंडरग्राउंड शाफ्ट)
• डिवाइस का प्रकार – 3 fission device, 2 fusion device
• ब्लास्ट यील्ड – कुल 45KT
• 11 मई 1998ई. को 2 fission और 1 fusion डिवाइस डेटोनेट किया गया और 13 मई 1998ई. को 2 fission डिवाइस डेटोनेट किया गया।
इस परीक्षण के बाद भारत को दुनिया से क्रिटिसिज्म और सेंक्शंस झेलना पड़ा।
"इस सफल परमाणु परीक्षण के बाद 11 मई को National Technology Day घोषित किया गया।"
यह परीक्षण प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई जी के नेतृत्व में किया गया और इन्होंने ही प्रेस कॉन्फ्रेंस करके दुनिया को इसकी जानकारी दी।
डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, डॉ. आर. चिदंबरम, डॉ. के. सनाथन इस प्रोगाम के चीफ कोऑर्डिनेटर थे।
"ऑपरेशन स्माइलिंग बुद्धा" का उद्देश्य न्यूक्लियर बम को वेपनाइज करना नहीं था लेकिन "ऑपरेशन शक्ति" का उद्देश्य न्यूक्लियर बम को वेपनाइज करना है।
पाकिस्तान का परमाणु परीक्षण
भारत द्वारा "ऑपरेशन शक्ति" किए जाने के तुरंत बाद पाकिस्तान भी सक्रीय हो गया और 28 से 30 मई के बीच "chagai-I" और "chagai-II" नाम से 6 परमाणु बमों का परीक्षण कर गया।
India's Nuclear Triad
न्यूक्लियर ट्रायड से आशय जल, जमीन और हवा से परमाणु बम दागने की क्षमता से है। आज के समय में भारत के पास ऐसे एयरक्राफ्ट्स, शिप्स और सबमरीन मौजूद जिनसे वो न्यूक्लियर बम दाग सकता है।
भारत के पास अग्नि-5 जैसा अत्याधुनिक Land Based Intercontinental Ballistic Missile जिसकी रेंज 5000km से 8000km के बीच है। इसकी मदद से हम चीन और पाकिस्तान के किसी भी हिस्से पर परमाणु हमला कर सकते हैं।
Indias Nuclear Doctrine
किसी देश की न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन यह बताती है की वह देश अपने न्यूक्लियर हथियारों का उपयोग कब और किस स्थिती में करेगा? तथा अपने हथियारों को लेकर उसकी क्या पॉलिसी है?
भारत की न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन 1998ई. में हुए परमाणु परीक्षण के बाद प्रतिपादित हुई और इसे जनवरी 2003ई. में आधिकारिक तौर पर अंगीकृत कर लिया गया।
न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन एक गुप्त दस्तावेज है, लेकिन सरकार ने दुनिया के समक्ष देश का पक्ष रखने के लिए इसके कुछ सिद्धांतों से पर्दा उठाया है जो की इस तरह से है:
भारत के न्यूक्लियर डॉक्ट्रिन को इस तरह से समझा जा सकता है
1. Building and Maintaining a Credible Minimum Deterrent
अर्थात भारत के परमाणु हथियार किसी देश को डराने या धमकाने के लिए नहीं है बल्की खुद की रक्षा और दुश्मनों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने के लिए है।
2. A Posture of "No First Use"
भारत "No First Use" की पॉलिसी अपनाता है, अर्थात यह पहले से किसी देश के ऊपर परमाणु हमला नहीं करेगा, लेकिन अगर कोई देश भारत पर या दुनियां में कहीं पर भी भारतीय सेना पर परमाणु हथियार से हमला करता है तो भारत इसका प्रतिशोध परमाणु हथियार से ही लेगा।
3. Massive Retaliation
भारत पर किए गए पहले हमले का ही प्रतिशोध इतना बड़ा होगा की इससे हुई तबाही अस्वीकरणीय होगी।
4. Nuclear Command Authority
परमाणु हमले का निर्णय Civilian Political Leadership द्वारा Nuclear Command Authority के माध्यम से लिया जाएगा।
Nuclear Command Authority, Political Council और Executive Council से मिलकर बनती है। Political Council के हेड प्रधानमंत्री होते हैं अतः वे ही परमाणु हमले के लिए निर्णय ले सकते हैं।
5. Policy for Non-Nuclear Weapon State
भारत कभी-भी Non-Nuclear Weapon State के ऊपर Nuclear Weapon से हमला नहीं करेगा। लेकिन अगर कोई देश भारत के ऊपर कैमिकल या बायोलॉजिकल वेपन से हमला करता है तो भारत उसपर न्यूक्लियर वेपन से हमला करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
6. Policy for Non-Proliferation
भारत परमाणु और मिसाइल तकनीकों से संबंधित पदार्थों और उपकरणों के प्रसार को रोकने के लिए उठाए जा रहे कदमों का धृढ़ता से साथ देगा और इसी तरह की संधियों का साथ देगा तथा परमाणु परीक्षणों पर रोक का निरंतर पालन करेगा।
7. Policy for Disarmament
भारत Nuclear Weapon Free World के अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ रहेगा।
लेख का सारांश
भारत सिविलियन उपयोग के क्षेत्र में न्यूक्लियर पॉवर 1968ई. में ही बन गया था लेकिन सैन्य उपयोग के क्षेत्र में न्यूक्लियर पॉवर 11 मई 1998ई. को हुए "ऑपरेशन शक्ति" के बाद बना। अतः हम कह सकते हैं कि भारत पूर्ण रुप से न्यूक्लियर पॉवर 1998ई. में बना।
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