पर्वत द्वारक वंश छत्तीसगढ़ का एक क्षेत्रिय राजवंश है जो की गरियाबंद के देवभोग और तेलघाटी क्षेत्र में शासन करते थे। कहीं–कहीं पर ओडिशा के कालाहांडी को भी इनका शासन क्षेत्र माना गया है।
इस वंश के बारे में हमें महाराज तुष्टिकर के तेराशिंघा ताम्रपत्र से जानकारी मिलती है, इस ताम्रपत्र के अनुसार यहां सोम्मनराज और तुष्टिकर नामक दो शासक हुए हैं।
पर्वत द्वारक वंश के शासक
1. सोम्मनराज
2. तुष्टिकर
यह वंश स्तंभेश्वरी देवी का उपासक था और संभवतः यहीं उनकी कुलदेवी रही होगी। इनके अलावा ये दंतेश्वरी देवी की भी पूजा करते थे।
इस वंश के पहले शासक सोम्मनराज ने जब इनकी माता कौस्तुभेश्वरी दाहज्वर से पीड़ित थीं तो उनके स्वास्थ्य लाभ के लिए देवभोग क्षेत्र का दान किया था।
दूसरे राजा तुष्टिकर ने तारभ्रमक से पर्वतद्वारक नामक गांव को दान में दिया था।
पर्वत द्वारक स्थान की समानता कालाहांडी के "पर्थला" नामक स्थान से की जाती है। कुछ लेखों में इनकी उत्पत्ति पर्थला नामक स्थान को ही माना गया है (लेकिन इस सदर्भ में पुख्ता प्रमाणों की कमी है)।