Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?

6 अगस्त 1945ई. को जापान के हिरोशिमा शहर में दुनिया का पहला परमाणु बम (Atomic Bomb) गिरा जिसके बाद दुनिया पूरी तरह से बदल गई। यही Cold War की जननी बनी और इसी के कारण Arms Race शुरू हुआ, इसी के कारण Cuban Missile Crisis हुई और दुनिया तबाह होते–होते बची। 

Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?

परमाणु हथियार दुनिया के सिर्फ चुनिंदा देशों के पास है, और जिनके पास ये हथियार है बाकी के देश उनसे दो कदम की दूरी बनाकर रखते हैं। इस भौकाली हथियार को Weapon of Mass Destruction कहा जाता है और सिर्फ़ एक Atom Bomb पूरे शहर को तबाह करने के लिए काफ़ी होता है।

तो आईए इस लेख के माध्यम से परमाणु बम की शक्ति को, इसकी कार्यप्रणाली को और इसके बनने के पीछे की कहानी को समझते हैं।



परमाणु बम क्या है? What is an Atomic Bomb?

परमाणु बम मानव इतिहास में बना अब तक का सबसे विनाशकारी हथियार है जो की एक पूरे शहर को खतम करने की शक्ति रखता है।

परमाणु बम दो प्रकार के होते हैं –

1). न्यूक्लियर बम (Nuclear Bomb) जिसे Atomic Bomb या A–Bomb के नाम से जाना जाता हैं; 

2). थर्मोन्यूक्लियर बम (Thermonuclear Bomb) जिसे Hydrogen Bomb या H–Bomb के नाम से जाना जाता हैं।

Atomic Bomb में ईंधन के तौर पर Uranium और Plutonium जैसे Radioactive Elements का इस्तेमाल होता है, वहीं Hydrogen Bomb में हाईड्रोजन के Isotopes (Deuterium और Tritium) का इस्तेमाल होता है।

Atomic Bomb में Nuclear Fission और Nuclear Chain Reaction की तकनीक का इस्तेमाल होता है वहीं Hydrogen Bomb में Nuclear Fusion की तकनीक का इस्तेमाल होता है। 


परमाणु बम क्यों बनाया गया? Why Atomic Bomb Was Built?

परमाणु बम क्यों बनाया गया? अक्सर इस सवाल का जवाब आता है कि "इसे द्वितीय विश्व युद्ध को जल्दी से खत्म करने के उद्देश्य से बनाया गया"। लेकिन ये जवाब अपने आप में पूर्ण नहीं है बल्कि इसके पीछे और भी कई कारण है। 

परमाणु बम बनाने के लिए सबसे पहली कोशिश नाज़ी जर्मनी के "Uranium Club" ने किया, इस कोशिश के पीछे नाज़ी जर्मनी का उद्देश्य दुनिया पर राज करना था।

नाज़ी जर्मनी का तानाशाह "एडॉल्फ हिटलर" अपनी Anti–Semitic विचाराधारा के कारण यहुदियों(Jews) से बेहद नफ़रत करता था। ये यहुदियों से इतना नफ़रत करता था की द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान इसने "The Holocaust" का आयोजन करके लगभग 60लाख यहुदियों को मरवा दिया। 

अगर नाज़ी जर्मनी परमाणु बम बना लेता तो हिटलर को द्वितीय विश्व युद्ध में हरा पाना असंभव सा हो जाता और ये पृथ्वी से यहुदियों(Jews) का समूल नाश कर देता।

इसी संभावना से डरते हुए Leo Szilard, Edward Teller और Eugene Wigner; इन तीन यहूदी वैज्ञानिकों ने अमेरिका के 32वें राष्ट्रपति Franklin D. Roosevelt को परमाणु की शक्ति से अवगत कराने के लिए पत्र लिखना चाहा ताकि अमेरिका भी परमाणु हथियार के क्षेत्र में काम करना शुरू कर दे जिससे नाज़ी जर्मनी को रोका जा सके। 

लेकिन तब ये इतने बड़े नहीं थे की अमेरिकी राष्ट्रपति इनके पत्र को सीरियसली लेते। तब इन्होंने इस काम के लिए सदी के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन को चुना। अल्बर्ट आइंस्टीन भी यहूदी थे और जर्मन मूल के थे, ये इन तीनों वैज्ञानिकों के विचार से सहमत हो गए जिसके बाद 2 अगस्त 1939ई. को इन्होंने Franklin D Roosevelt को पत्र भेजा जिसपर इन तीनों वैज्ञानिकों के भी हस्ताक्षर थे। इतिहास में इस पत्र को Einstein–Szilard Letter के नाम से जाना जाता है। इस पत्र ने अमेरिका को परमाणु विज्ञान के क्षेत्र में रिसर्च करने के लिए प्रेरित किया।

इसी बीच 7 दिसंबर 1941ई. के दिन जापान ने अमेरिका के Pearl Harbour पर हमला कर दिया जिसके बाद इसे द्वितीय विश्व युद्ध में कूदना ही पड़ा। अब अमेरिका को शक्तिशाली हथियार की आवश्यकता महसूस हुई जिसके लिए इसने "Project Manhattan" शुरू किया।

इस समय ब्रिटेन और कनाडा भी साथ मिलकर परमाणु हथियार विकसित करने के काम पर लगे हुए थे जो की बाद में Manhattan Project से जुड़ गए। सोवियत संघ भी इसी क्षेत्र में काम कर रहा था। लेकिन उस समय USA को छोड़कर किसी को भी सफलता नहीं मिली।

अब इस सवाल पर आते हैं की परमाणु बम क्यों बनाया गया? नाज़ी जर्मनी के लिए परमाणु बनाने का उद्देश्य दुनिया पर राज करना था। यहूदी वैज्ञानिकों के लिए परमाणु बम बनवाने का उद्देश्य हिटलर को रोकना था। वहीं अमेरिका के लिए परमाणु बम बनाने का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध को जीतकर दुनिया का सबसे शक्तिशाली देश बनना था। ब्रिटेन, कनाडा और सोवियत संघ का उद्देश्य भी वक्त की मांग को समझते हुए सामरिक तौर पर आधुनिक होकर दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना या इसपर राज करना ही था।

मेरे विचार से परमाणु बम बनाने का उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध को खत्म करना नहीं था, अपितु द्वितीय विश्व युद्ध को जीतकर दुनिया पर अपना दबदबा कायम करना था।


Project Manhattan 

परमाणु बम बनाने के लिए अमेरिका द्वारा चलाए गए टॉप सीक्रेट Research & Development Program को The Manhattan Project के नाम से जाना जाता है। 

आर्मी के लेफ्टिनेंट जनरल Lesli Groove इस पूरे प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे जो सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति को रिपोर्ट करते थे। 

इसी प्रोजेक्ट के तहत अमेरिका ने 1945ई. में दुनिया का पहला परमाणु बम बनाया जिसे The Gadget नाम से जाना जाता है। 

Manhattan Project की शुरूआत 13 अगस्त 1942ई. को हुई थी और 15 अगस्त 1947ई. को इसे भंग कर दिया गया। 

• Los Alamos Laboratory

Los Alamos National Laboratory अमेरिका की एक रिसर्च & डेवलपमेंट लेबोरेटरी है जिसे Manhattan Project के तहत 1943ई. में परमाणु बम विकसित करने के लिए बनाया गया था। इस दौरान प्रसिद्ध J. Robert Oppenheimer इस लेबोरेटरी के डॉयरेक्टर थे। 

• The Trinity Test

Manhattan Project के तहत् Los Alamos National Laboratory में J. Robert Oppenheimer के नेतृृत्व में सैकड़ों वैज्ञानिकों और हजारों इंजीनियरों के अथक प्रयासों से बने दुनिया के पहले परमाणु बम "The Gadget" का 16 जुलाई 1945ई. के दिन सफल परीक्षण किया गया जिसके बाद दुनिया परमाणु युग में प्रवेश कर गई। दुनिया के इसी पहले परमाणु परीक्षण को "The Trinity Test" के नाम से जाना जाता है।


परमाणु बम काम कैसे करता है? How Atomic Bomb Work's?

परमाणु बम Nuclear Fission और Nuclear Fusion की तकनीक पर काम करता है। 

• Nuclear Fission 

Nuclear Fission एक Nuclear Reaction है जिसमें Heavy Nucleus टूटकर दो या दो से अधिक छोटे और हल्के Nuclei बनाते हैं और अत्यधिक मात्रा में Energy Release करते हैं। 

Nuclear Fission Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?


Fission की प्रक्रिया से निकले एनर्जी का उपयोग Constructive Use और Destructive Use दोनों के लिए किया जाता है। Nuclear Power Plant इसके Constructive Use का उदाहरण है और Nuclear Bomb इसके Destructive Use का उदाहरण है।

लेकिन सिर्फ एक Nucleus के Fission होने से काम नहीं चलता, अत्यधिक मात्रा में ऊर्जा निकालने के लिए लगभग सभी Nucleus का fission होना बेहद जरूरी है, और ये संभव हो पाता है Nuclear Chain Reaction से।

• Nuclear Chain Reaction

Nuclear Chain Reaction एक नाभिकीय प्रक्रिया है जिसकी बदौलत Nuclear Fission की प्रक्रिया सतत रूप से चलती रहती है।

न्यूक्लियर चैन रिएक्शन भी दो प्रकार के होते हैं :–

1. Controlled Nuclear Chain Reaction

2. Uncontrolled Nuclear Chain Reaction 


Nuclear Chain Reaction Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?


Nuclear Chain Reaction की प्रक्रिया में Fission की प्रक्रिया से निकले Neutron पास उपस्थित दूसरे एटम के Nucleus से टकराते हैं जिसके परिणामस्वरुप उन Atoms का भी fission हो जाता है और यह प्रक्रिया निरंतर रूप से चलती रहती है, यही चैन रिएक्शन है। 

इस दौरान प्रत्येक fission से अत्यधिक मात्रा में निकली Energy निकलती है जो की जुड़ती रहती है और यही Blast का रूप लेती है।


परमाणु ईंधन (Nuclear Fuel)

Nuclear Fission की प्रक्रिया में भाग लेकर Chain Reaction करने वाले पदार्थ को Nuclear Fuel कहते हैं और U–235 तथा Pu–239 इसके उदाहरण हैं। 

आसान शब्दों में कहें तो परमाणु बम बनाने में या न्यूक्लियर रिएक्टर चलाने में उपयोग किए जाने वाले पदार्थ को Nuclear Fuel कहते हैं और यूरेनियम–235 तथा प्लूटोनियम–239 इसके उदाहरण है।

• यूरेनियम संवर्धन (Uranium Enrichment)

प्राकृतिक रूप से प्राप्त यूरेनियम में 99.3% U–238 और मात्र 0.7% U–235 होता है, मतलब अगर हम 1Kg यूरेनियम का सैंपल लें तो उसमें से हमें मात्र 7 ग्राम U–235 मिलेगा और बाकी 993 ग्राम U–238 मिलेगा।

U–235 की इतनी अल्प मात्रा चैन रिएक्शन Sustain के लिए काफ़ी नहीं है, यह आवश्यक Critical Mass (K) से बेहद कम है। इसी वजह से हमे यूरेनियम के सैंपल में U–235 की मात्रा को बढ़ाना होता है, और यूरेनियम के सैंपल में U–235 की मात्रा को बढ़ाने के Process को ही Uranium Enrichment कहते हैं। Uranium Enrichment के लिए मुख्यतः Centrifugal Technology का इस्तेमाल किया जाता है। 

Nuclear Reactor चलाने के लिए 3–5% Enriched Uranium की आवश्यकता होती है और वहीं Atomic Bomb के लिए 90% से अधिक Enriched Uranium की आवश्यकता होती है। Enriched Uranium को Highly Eneriched Uranium (HEU) कहते हैं।

Father of Pakistan's Nuclear Program और Greatest Nuclear Proliferator के नाम से प्रसिद्ध AQ Khan ने नीदरलैंड से इसी तकनीक को चुराकर पाकिस्तान के लिए U–235 बनाया था।

• प्लूटोनियम उत्पादन (Plutonium Production) 

U–235 एक "Fissile" मटेरियल है अर्थात यह Nuclear Fission की प्रक्रिया में भाग लेकर चैन रिएक्शन Sustain कर सकता है। लेकिन U–238 Fissile मटेरियल नहीं है और यह Chain Reaction Sustain नहीं कर पाता, अतः इसे हम Nuclear Fuel की तरह इस्तेमाल नहीं कर सकते हैं।

लेकिन U–238 एक "Fertile" मटेरियल है जिसे Fissile Material में कन्वर्ट किया जा सकता है, इसे Nuclear Reactor में Reaction कराके Pu–239 में बदला जाता है और इसी प्रक्रिया को प्लूटोनियम प्रोडक्शन कहते है।

Pu–239 एक Fissile Material है जिसका इस्तेमाल U–235 के तरह ही परमाणु ईंधन के रूप में होता है।


Structure And Working Mechanism of Atomic Bomb?

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान दो परमाणु बम Little Boy और Fat Man गिराए गए थे, इन्हीं के उदाहरण से हम परमाणु बम की संरचना और कार्यप्रणाली को समझने की कोशिश करते हैं। 

द्वितीय विश्व युद्ध में दो प्रकार के परमाणु बमों का इस्तेमाल हुआ था –

1. Gun Type Device; 

2. Implosion Type Device 


1. Gun Type Device

• संरचना

• यह एक सिलेंड्रिकल शेप की डिवाइस है जिसके अंदर Gun Barrel होता है।

• इस डिवाइस में ईंधन के तौर पर U–235 का इस्तेमाल होता है।

Little Boy Gun Type Device Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?


• डिवाइस के अंदर Gun Barrel के दोनों छोर में Highly Enriched U–235 (HEU) रखा होता है।

• डिवाइस के पहले छोर में U–235 के पीछे RDX और TNT जैसे Chemical Explosives रखे होते हैं।

• डिवाइस के दूसरे छोर में U–235 के पीछे Neutron Initiator लगा होता है।

• कार्यप्रणाली

• डिवाइस को डेटोनेट करने के लिए पहले Chemical Explosives में स्पार्किंग करके ब्लास्ट किया जाता है जिससे पहले छोर में उपस्थित U–235 बुलेट की तरह फायर होकर दूसरे छोर में उपस्थित U–235 से जा मिलता है।

• जब दोनों तरफ़ के U–235 एक–दुसरे से मिलते हैं तो इनका Mass "Super Critical (K)" हो जाता है और इसी वक्त वहां उपस्थित Neutron Initiator थर्मल न्यूट्रॉन रिलीज़ कर देता है।

• थर्मल न्यूट्रॉन के संपर्क मे आने के कारण U–235 में Fission और Uncontrolled Nuclear Chain Reaction Start हो जाता है।

• यह प्रक्रिया इतनी तेज़ होती है की मात्र Fraction of a Second में ही पूरा Nuclear Reaction हो जाता है, जिसके परिणाम स्वरूप Massive Amount of Energy Release होती है जो कि विध्वंश का कारण बनती है।

• द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बने Little Boy नामक Gun Type Device को 6 अगस्त 1945ई. के दिन जापान के हिरोशिमा शहर में गिराया गया था।


2. Implosion Type Device

• संरचना 

• ये बाहर से अंडाकार जैसा दिखने वाला डिवाइस है जिसके अंदर Spherical Space में इसके कॉम्पोनेंट्स होते हैं।

• इस डिवाइस में ईंधन के तौर पर Pu–239 का इस्तेमाल होता है। 

Fat Man Implosion Type Device Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?


• इस डिवाइस में Implosion की तकनीक का इस्तेमाल करके Fission Reaction कराया जाता है।

• डिवाइस के Spherical Space के सबसे पहले परत में मजबूत धातु का कवच होता है जिसमें स्पार्किंग प्लग्स लगे होते हैं।

• इस कवच के अंदर दूसरे परत में RDX और TNT जैसे Chemical Explosives का मोटा परत होता है।

• तीसरे परत में Compressior और Neutron Reflector लगा होता है।

• अंदर की ओर चौथे परत में Pu–239 होता है जो की हमारा ईंधन है।

• अंदर की ओर पांचवे और सबसे अंतिम परत वाले गोले में पोलोनियम और बेरीलियम का मिक्सचर होता है।

• कार्यप्रणाली 

• जब बॉम्ब को डेटोनेट किया जाता है तब सबसे पहले स्पार्किंग प्लग में स्पार्किंग होती है जिससे अंदर उपस्थित RDX और TNT जैसे Chemical Explosives में ब्लास्ट होता है। इस ब्लास्ट के कारण Spherical Space के अंदर में बहुत ही ज्यादा मात्रा में Pressure Create होता है।

हम जानते हैं की कोई भी चीज High Pressure से Low Pressure की ओर Flow करता है और जब भी कोई Explosion होता है तो Pressure बाहर की ओर Release होती है। 

लेकिन इस केस में Chemical Explosives के ऊपरी सतह पर मजबूत धातु का कवच लगा होता है जिस वजह से प्रेशर बाहर की ओर रिलीज नहीं हो पाती परिणामस्वरुप सेंटर की ओर प्रेशर लगने लगता है (क्योंकी सेंटर नया low pressure zone बन जाता है) और इसे ही Implosion कहते हैं।

अब सेंटर की ओर अत्यधिक प्रेशर लगने के कारण हमारा Compressior प्लूटोनियम बॉल तथा ‘पोलोनियम और बेरिलियम’ के मिक्सचर को अत्यधिक दाब के साथ प्रेस करता है जिससे पोलोनियम और बेरिलियम आपस मे मिल जाते हैं और इनके मिलने से अत्यधिक मात्रा में Neutrons रिलीज होते हैं।

ये Neutrons प्लूटोनियम परमाणुओं के न्यूक्लियस से टकराते हैं जिससे वहां Fission स्टार्ट हो जाता है। Fission की प्रक्रिया से निकले Neutrons बाहर की ओर Escape करना चाहते हैं लेकिन प्लूटोनियम बॉल के ऊपरी सतह पर उपस्थित Neutron Reflector बाहर जाने वाले Neutrons को अंदर की ओर Reflect कर देते हैं जिससे आग में और भी ज्यादा घी लग जाता है (Nuclear Chain Reaction Start हो जाता है)। 

Chain Reaction के कारण मात्र Fraction of a Second में ही प्लूटोनियम बॉल का fission हो जाता है जिसके कारण Massive Amount of Energy Release होती है और हमे Massive Blast देखने को मिलता है।

ब्लास्ट के बाद न्यूक्लियर बॉम्ब का तापमान सूर्य के सतह के तापमान जितना हो जाता है जिससे आसपास की चीजे पिघल जाती हैं। 

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान बने Fat Man नामक Implosion Type Device को 9 अगस्त 1945ई. के दिन जापान के नागासाकी शहर में गिराया गया था।


Hiroshima and Nagasaki 

6 और 9 अगस्त 1945ई. के दिन अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर पर परमाणु बम गिराया गया था जिसमें क्रमशः 1,20,000 और 80,000 लोगों की जानें गई थी। 

परमाणु बम किसी युद्ध में इस्तेमाल हुआ अब तक सबसे विध्वंशकारी हथियार है जिसका पहली और आखिरी बार इस्तेमाल द्वितीय विश्व युद्ध में ही हुआ है।

• Little Boy 

6 अगस्त 1945ई. के दिन जापान के हिरोशिमा शहर पर Little Boy नामक Gun Type Device को डेटोनेट किया गया था जिसमें 64kg (HEU) का इस्तेमाल हुआ था। इस डिवाइस का Mass – 4400kg था और इसका ब्लास्ट यील्ड (Blast Yeild) – 15KT था। इस एक बम के कारण हिरोशिमा के लगभग 80,000–1,20,000 लोग मारे गए।

Little Boy Hiroshima Gun Type Device Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?


• Fat Man 

9 अगस्त 1945ई. के दिन जापान के नागासाकी शहर पर Fat Man नामक Implosion Type Device को डेटोनेट किया गया था जिसमें 6.4kg Pu–239 का इस्तेमाल हुआ था। इस डिवाइस का Mass – 4670kg था और इसका ब्लास्ट यील्ड(Blast Yeild) – 21KT था। इस एक बम के कारण नागासाकी के लगभग 80,000 लोगों की जानें चली गई।

Fat Man Nagasaki Implosion Type Device Atomic Bomb/Nuclear Bomb क्या है? काम कैसे करता है?


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